सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी काउंसिल (GST Council) की सिफारिशों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जीएसटी काउंसिल (GST Council) की सिफारिशों को मानने हेतु केंद्र एवं राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं. केंद्र सरकार एवं राज्यों के पास GST पर कानून बनाने का एक बराबर अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें मानने हेतु केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार बाध्य नहीं है. केवल इसका एक प्रेरक मूल्य है. सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जीएसटी पर कानून बनाने हेतु संसद के साथ-साथ राज्य की विधानसभाओं के पास एक बराबर अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि GST में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है, जिससे केंद्र एवं राज्यों के बनाए कानूनों में विभिन्नता पाए जाने पर कोई समाधान हो सके. यदि ऐसी कोई परिस्थिति आती है तो जीएसटी परिषद (GST Council) उन्हें उचित सलाह देती है.
मामला क्या है?
केंद्र सरकार आयात किए हुए समान के परिवहन पर एक समान लागू होने हेतु सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ था. गुजरात हाईकोर्ट ने भी इससे पहले केंद्र सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि समुद्री मार्ग से आयात किए हुए समान के परिवहन पर एकीकृत GST (IGST) असंवैधानिक है.
जीएसटी काउंसिल क्या है?
जीएसटी परिषद (GST Council) एक अहम फैसला लेने वाली एक संस्था है. यह संस्था जीएसटी कानून के अंतर्गत होने वाले कार्यों के संबंध में सभी महत्वपूर्ण फैसले लेती है. जीएसटी परिषद की जिम्मेदारी पूरे देश में वस्तुओं एवं सेवाओं हेतु एक ही कर निर्धारित करना है. जीएसटी परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं. राज्यों के वित्त मंत्री जीएसटी परिषद के सदस्य हैं.
जीएसटी: एक नजर में
जीएसटी को लागू हुए 01 जुलाई 2022 को पांच साल हो जायेंगे. जीएसटी कानून को 01 जुलाई 2017 से पूरे देश में लागू किया गया था. बता दें सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, वैट और सेल्स टैक्स को मिलाकर एक टैक्स जीएसटी (GST) बनाया गया था. जीएसटी को लेकर कोई भी फैसला लेने का हक जीएसटी काउंसिल के पास है.
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