सुप्रीम कोर्ट में 30 मार्च 2020 को लॉकडाउन के चलते पैदल चलकर अपने-अपने घर जाने को मजबूर प्रवासी मजदूरों के खाने और रहने के इंतजाम करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. कोरोना वायरस को लेकर पूरे भारत में लॉक डाउन है और जिसके बाद से कई जगहों से मजदूरों का और गरीबों का पलायन शुरू हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बोबड़े ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी और पूछा है कि क्या आपके पास साधन है और आपकी सरकार क्या काम कर रही है. वहीं इस मामले की अब सुनवाई 01 अप्रैल 2020 को होगी. सीजीआई बोबड़े ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की.
मुख्य बिंदु
• सुप्रीम कोर्ट ने इन लोगों के पलायन को रोकने के लिए उठाये जा रहे कदमों के बारे में केंद्र से 31 मार्च 2020 तक रिपोर्ट देने को कहा है.
• प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस स्थिति से निबटने के लिए सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों के बीच कोई निर्देश देकर ज्यादा भ्रम पैदा नहीं करना चाहती.
• कोर्ट ने कामगारों के पलायन से उत्पन्न स्थिति को लेकर अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव और रश्मि बंसल की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस मामले में वह केन्द्र की स्थिति रिपोर्ट का इंतजार करेगी.
• इन याचिकाओं में 21 दिन के देशव्यापी कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार होने वाले हजारों प्रवासी कामगारों के लिये खाना, पानी, दवा और समुचित चिकित्सा सुविधाओं जैसी राहत दिलाने का अनुरोध किया गया है.
पृष्ठभूमि
याचिका में कहा कि कोरोना के चलते लॉकडाउन होने से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं. इनमें बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं और दिव्यांग भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनो वायरस के प्रसार को रोकने हेतु 24 मार्च को 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी. केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गैर-आवश्यक सामानों के परिवहन पर रोक लगा दी थी, इस दौरान केवल उन्हीं वाहनों को प्रवेश की अनुमति थी जो आम जनजीवन के लिए जरूरी सामान लेकर आ रहे थे. हालांकि केंद्र सरकार ने अब आवश्यक और गैर-आवश्यक के परिवन को अनुमति दे दी है.
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