Bio-villages: त्रिपुरा में हाल ही में देश के पहले जैव-गांवों (Bio-Villages) को मान्यता दी गयी है. त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा ने इस उपलब्धि को साझा करते हुए, देश में पहले जैव गांवों को डिजाइन और स्थापित करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के जैव प्रौद्योगिकी निदेशालय को बधाई दी है. जैव गांवों को एक अंतरराष्ट्रीय समूह द्वारा मान्यता दी गई है.
ये गावं देश के पहले संशोधित जैव-गांव है जहाँ पर पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है. इन गावों में कृषि और कृषि सम्बंधित कार्यों में जैविक उर्वरक का ही उपयोग किया जा रहा है. इन गावों के लोग रासायनिक उर्वरकों का उपयोग पूरी तरह से रोक दिया है.
“Sunday Biovillage 2.0 Service* 4 th September 2022 by bio village team at Sambhajay para under Gonda Twisa ( Gondacherra ). It’s really touching to see my bio village team working even on a Sunday in one of the remotest village, this is called inspiring service. pic.twitter.com/TuesFlCdOX
— Jishnu Dev Varma (@Jishnu_Devvarma) September 6, 2022
जैव-गांवों (Bio-Villages) से जुड़े मुख्य बिंदु:
- जैव-गांव पहल का उद्देश्य क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास पर केन्द्रित है, जो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के सतत विकास के लिए एक जरुरी कदम है.
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के जैव प्रौद्योगिकी निदेशालय ने इस पहल को वर्ष 2018 में शुरू किया था.
- यह पहल त्रिपुरा के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक गावं के 500 से अधिक परिवारों को लाभान्वित करेगा.
- त्रिपुरा में पहले ही 10 गांवों में जैव-गांव 2.0 के मानक घटकों को लागू किया जा चुका है.
- इस प्रोजेक्ट से प्रत्येक परिवार को लगभग 5500 रूपये का प्रतिमाह लाभ होगा.
- सिपाहीजला जिले के चारिलम निर्वाचन क्षेत्र के दासपारा गावं को पहला जैव ग्राम के रूप में स्थापित किया गया है.
सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में मिलेगी मदद:
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा ने कहा कि इस तरह के प्रयासों से दूरस्थ क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में मदद मिलेगी. दासपारा गांव के लोग अपनी खेती में फल सब्जियों और अन्य फसलों को प्राकृतिक रूप से उगा रहे है.और इस प्रयास को आगे बढ़ा रहे है.
उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि त्रिपुरा प्रधानमंत्री के जलवायु परिवर्तन शमन को आगे बढ़ा रहा है, और इसी कड़ी में राज्य के पांच गावं रासायनिक खेती को पूरी तरह से समाप्त करके जैविक-खेती को अपना लिया है. इस तरह के प्रयास पर्यावरण के अनुकूल है और यहाँ के निवासियों के लिए स्वास्थ्य वर्धक भी है. इस तरह की पहल देश के अन्य राज्यों को भी प्रेरित करेंगे.
— Jishnu Dev Varma (@Jishnu_Devvarma) September 3, 2022
क्लाइमेट-स्मार्ट:
इस पहल के तहत बायोगैस, पशुधन की बेहतर नस्ल और उर्जा से चलने वाले कृषि उपकरण और ऊर्जा-बचत करने वाले विद्युत उपकरणों आदि घटकों को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिससे इन क्षेत्रों को क्लाइमेट-स्मार्ट बनाया जा सके.
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