टॉप हिन्दी करेंट अफ़ेयर्स, 04 अगस्त 2021 के अंतर्गत आज के शीर्ष करेंट अफ़ेयर्स को शामिल किया गया है जिसमें मुख्य रूप से स्वास्थ्य मंत्रालय और कोरोना वायरस आदि शामिल हैं.
अभी खत्म नहीं हुई है COVID-19 की दूसरी लहर, आठ राज्यों में अभी भी 'आर-वैल्यू' ज्यादा: सरकार
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, वायरस के प्रसार में फिर से तेजी के संकेत मिल रहे हैं. कोरोना के प्रसार को दर्शाने वाले रिप्रोडक्टिव रेट आठ राज्यों में एक से अधिक हैं. यह दर कुछ समय पूर्व 0.6 पर पहुंच गई थी तथा पिछले महीने 0.8 हुई और अब बढ़कर 1.2 हो गई है. तीन राज्यों में यह और भी अधिक है.
सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश समेत छह राज्यों के 18 जिलों में पिछले चार हफ्तों में कोविड के नये दैनिक मामले बढ़ते दिख रहे हैं. यह चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते, कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों में से 49.85 प्रतिशत मामले केरल से सामने आए है.
लोकसभा से आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 को मिली मंजूरी
यह विधेयक संबंधित ‘अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021’ की जगह लेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाया गया है. इसका उद्देश्य यह है कि हथियारों एवं गोला-बारूद की आपूर्ति में बाधा नहीं आए.
इस विधेयक में कहा गया है कि रक्षा उपकरणों के उत्पादन, सेवाओं और सेना से जुड़े किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान के संचालन या रखरखाव के साथ-साथ रक्षा उत्पादों की मरम्मत और रखरखाव में कार्यरत कर्मचारी अध्यादेश के दायरे में आएंगे.
अमेरिका से हारपून मिसाइलें खरीदेगा भारत, होगा ये बड़ा फायदा
अमेरिका ने 82 मिलियन डॉलर (लगभग 6 अरब 9 करोड़ 20 लाख 87 हजार 500 रुपये) की एंटी शिप हारपून मिसाइल डील को मंजूरी दे दी है. इस मिसाइल के साथ भारत को इससे जुड़े कई दूसरे उपकरण भी दिए जाएंगे.
हार्पून एक एंटी-शिप मिसाइल है. इसकी पहली तैनाती साल 1977 में हुई थी. रडार निर्देशित यह मिसाइल सभी मौसम में मार करने में सक्षम है. यह दुनिया की सबसे सफल एंटी-शिप मिसाइल बताई जाती है. इसकी तैनाती 30 से ज्यादा देशों के सशस्त्र बलों में है.
वैज्ञानिकों के एक नए सिद्धांत के मुताबिक, पृथ्वी पर ऑक्सीजन बढ़ने का कारण बने हैं लंबे दिन
इस अध्ययन में यह परीक्षण किया गया कि, लंबे समय तक, निरंतर बने रहने वाले दिन के उजाले ने एक अजीब किस्म के बैक्टीरिया को बहुत सारी ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए सक्षम बनाया, जिससे पृथ्वी पर अधिकांश जीवन संभव हो सका.
इस क्षेत्र के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने लंबे समय से साइनोबैक्टीरिया नामक जीवाणुओं का पता लगाया था, जो ऑक्सीजन के विकास में शामिल थे, लेकिन ये वैज्ञानिक और विशेषज्ञ यह पता लगाने और यह बताने में सक्षम नहीं थे कि, यह महान ऑक्सीजनीकरण की घटना कब शुरू हुई.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation