राज्यसभा में 02 अगस्त 2019 को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम संशोधन विधेयक (यूएपीए)-2019 पारित हो गया. विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक के बहुत से पहलुओं पर आपत्ति की थी. विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक को चयन समिति में भेजने की मांग की थी लेकिन इसे चयन समिति में भेजे जाने का प्रस्ताव गिर गया.
यह संशोधन विधेयक 24 जुलाई 2019 को लोकसभा में पारित हुआ था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समय को देखते हुए इस विधेयक में बदलाव करने की जरूरत है. यूएपीए संशोधन विधेयक के तहत आतंकवादी घटनाओं में संलिप्त व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करता है. यह विधेयक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकार को बढ़ाने वाला है.
राज्यसभा में यूएपीए संशोधन विधेयक पारित हो गया है. इस विधेयक के पक्ष में 147 वोट तथा विपक्ष में 42 वोट पड़े. इस विधेयक को चयन समिति के पास भेजने का विपक्ष पार्टियों का प्रस्ताव भी गिर गया. समिति के पास भेजने के प्रस्ताव के पक्ष में 85 वोट और विपक्ष में 104 वोट पड़े. |
यूएपीए एक्ट का उद्देश्य
यूएपीए एक्ट का मुख्य उद्देश्य देश की अखंडता और संप्रभुता के विरुद्ध होने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाना है. इस विधेयक के मुताबिक, सरकार किसी संगठन को पहली अनुसूची में शामिल कर आतंकी संगठन घोषित कर सकती है.
मुख्य बिंदु:
• यह संशोधन विधेयक आतंकवादी घटनाओं की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को ज्यादा अधिकार देती है.
• सरकार को अभी तक आतंकवादी घटनाओं में संलिप्त व्यक्ति से पूछताछ करने हेतु संबंधित राज्य की पुलिस से पहले इजाजत लेनी पड़ती है लेकिन इस संशोधन विधेयक के पारित हो जाने के बाद एनआईए सीधे उस व्यक्ति से पूछताछ कर सकेगी उसे राज्य सरकार की पुलिस से इजाजत नहीं लेनी होगी.
• यह विधेयक सरकार को यह अधिकार देता है कि इसके आधार पर किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर आतंकवादी घोषित कर सकती है.
• नए प्रस्तावित संशोधनों के बाद अब एनआईए के महानिदेशक को ऐसी संपत्तियों को कब्जे में लेने और उनकी कुर्की करने का अधिकार मिल जाएगा जिनका आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया.
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• अब तक के नियम के मुताबिक, आतंकवादी घटनाओं से संबंधित किसी भी मामले की जांच डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) या असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (एसीपी) रैंक के अधिकारी ही कर सकते थे. लेकिन अब नए नियम के अनुसार, एनआईए के अफसरों को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं. अब ऐसे किसी भी मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर के अफसर भी कर सकते हैं.
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