उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में छह एम्स जैसे संस्थान बनाने की घोषणा की. राज्य सरकार का लक्ष्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी पांच वर्षों में 25 नये मेडिकल कालेज भी खोले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया. उन्होंने उत्तर प्रदेश में संचालित सभी मेडिकल कॉलेज केजीएमयू के अधीन किए जाने की घोषणा की.
सभी मेडिकल कॉलेज को केजीएमयू से संबंद्ध भी किया जाएगा. किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमसी) किंग जॉर्ज यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के अधीन संचालित है.
लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में नये 56 वेंटिलेटरों का लोकार्पण किया.
- देश में चिकित्सकों की कमी है और पांच लाख नये चिकित्सकों की आवश्यकता है.
- नए वेंटिलेटरों के लोकार्पण के बाद किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज वेंटीलेटर की संख्या 88 से बढ़कर 156 हो गई है.
- ट्रॉमा सेंटर में नई खुली पीआइसीयू, एनआइसीयू, पीसीसीयू, सीसीएम यूनिट के साथ केजीएमयू के अन्य विभागों में वेंटीलेटर बढ़ाए गए हैं.
मेडिकल की पढ़ाई में एक समान शैक्षणिक व्यवस्था-
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार राज्य में कई मेडिकल कॉलेज हैं उनके पाठ्यक्रम, परीक्षा प्रणाली, प्रश्न पत्र का पैटर्न अलग-अलग हैं. ऐसे में समान पाठ्यक्रम व गुणवत्तापरक शिक्षा प्रणाली हेतु सभी मेडिकल कॉलेजों को केजीएमयू से संबंध किया जाएगा.
- इससे प्रदेश के सभी सभी मेडिकल कॉलेजों में समान पाठ्यक्रम होगा व शैक्षणिक ढांचे का महौल बनेगा.
चिकित्सा में आधुनिक तकनीक की आवश्यकता-
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी चिकित्सा संस्थानों को पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा पद्धति भी अपनाने का सुझाव दिया.
- इसके लिए बड़े चिकित्सा संस्थानों को दुनिया की आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित किया.
- प्रत्येक स्तर पर मजबूत चिकित्सा स्वास्थ्य का ढांचा तैयार करने हेतु यह संस्थान मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों में तकनीक का शेयर भी करें.
सीएचसी-पीएचसी पर दो वर्ष नौकरी अनिवार्य-
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रामीण स्तर के सीएचसी-पीएचसी पर दो वर्ष तक डॉक्टरों की सेवाओं को अनिवार्य किया. इसके लिए कानून बनाने की भी बात कही.
- इसी प्रकार पीजी पास डॉक्टर दो वर्ष जिला अस्पतालों में ड्यूटी अवश्य करें और वरिष्ठ चिकित्सक जिला अस्पतालों में सेवाएं दें.
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