दिल्ली सर्विस बिल (Delhi Services Bill) विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है. राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर लंबी बहस और चर्चा हुई.
संसद के दोनों सदनों में इस बिल का भारी विरोध किया गया. गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इस पर अपना जवाब दिया जिसके बाद उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सोमवार रात 10 बजे इस पर वोटिंग शुरू कराई थी. विपक्षी गुट 'INDIA' के सदस्यों ने इस बिल के विरोध में वॉकआउट किया.
Delhi Services Bill passed in Rajya Sabha with Ayes-131, Noes-102 https://t.co/lAXaL1hRnK
— ANI (@ANI) August 7, 2023
बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े:
उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की अध्यक्षता में इस बिल पर देर रात वोटिंग करायी गयी. ऑटोमैटिक मशीन खराब होने के कारण वोटिंग के लिए पर्ची का उपयोग किया गया. इस बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े जबकि इसके विरोध में 102 वोट पड़े.
3 अगस्त को लोकसभा से पास हुआ था बिल:
दिल्ली सर्विस बिल लोकसभा में 3 अगस्त को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था. जिसके बाद इसे संसद के उपरी सदन राज्यसभा में पेश किया गया था. अब यह बिल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अस्तित्व में आ जायेगा. इस पर बयान देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल पूरी तरह संविधान की भावना के अनुरूप है. साथ ही विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि देश में अर्ध-संघीय ढांचा है और केंद्र सर्वोपरि है.
क्या है दिल्ली सर्विस बिल?
यह बिल मुख्य रूप से दिल्ली में अफसरों के ट्रान्सफर और नियुक्ति से जुड़ा हुआ है. इसे ऑफिशियली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 नाम दिया गया है. इसको लेकर दिल्ली में केंद्र सरकार और केजरीवाल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार आमने-सामने है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था.
क्यों लाया गया यह बिल?
दरअसल, 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की एक बेंच ने दिल्ली में अफसरों के ट्रान्सफर और नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया था. साथ ही अदालत ने यह भी कहा था कि दिल्ली के उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे.
इस फैसले के बाद केंद्र सरकार 19 मई को एक अध्यादेश लेकर आई और इस फैसले को पलट दिया. इसके तहत ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया गया. दिल्ली सर्विस बिल अस्तित्व में आने के बाद इसी अध्यादेश की जगह लेगा.
बिल में किये गए कई बदलाव:
गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 (GNCT) में कुछ बदलाव करने के बाद पेश किया गया है. इसके तहत सेक्शन- 3A जो अध्यादेश का भाग था इसे बिल से हटा दिया गया है.
राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के प्रधान गृह सचिव और दिल्ली के मुख्यमंत्री शामिल होंगे.
इस बिल का सेक्शन 45-D जो दिल्ली में अथॉरिटी, बोर्डों, आयोगों और संवैधानिक निकायों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति से जुड़ा हुआ था इसे हटा दिया गया है. अब इसके स्थान पर National Capital Civil Services Authority-NCCSA समिति की सिफारिशों के अनुसार नियुक्ति की जाएगी.
केजरीवाल ने किया इसका विरोध:
राज्यसभा से इस बिल के पारित होने के बाद दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा कि बीजेपी पीछे के दरवाजे से ये बिल लेकर आई और हम इसका विरोध करते है. साथ ही उन्होंने दिल्ली की सरकार में पीएम के दखल पर आपत्ति जताई.
दिल्ली के अफसर, चपरासियों की Transfer-Posting देश के प्रधानमंत्री करेंगे?
— AAP (@AamAadmiParty) August 7, 2023
Manipur में BJP सरकार है, वहां आग लगी है, Haryana-Gujarat में बेड़ा गर्क कर दिया।
ये काम में Compete नहीं कर सकते हमसे, इसलिए Kejriwal के काम रोको।
—CM @ArvindKejriwal#DelhiServiceBill… pic.twitter.com/3C17hHx4t4
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