Chandrayaan-3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे लांच कर दिया जो इस समय मून की ओर बढ़ रहा है. चंद्रयान-3 को GSLV MKIII या LVM3 रॉकेट द्वारा लांच किया गया.
चंद्रयान-3 लगभग 40 दिन बाद 23/24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है. इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का है. यह चंद्रयान-2 का फॉलो-अप मिशन है.
Chandrayaan-3 Mission update:
— ISRO (@isro) July 15, 2023
The spacecraft's health is normal.
The first orbit-raising maneuver (Earthbound firing-1) is successfully performed at ISTRAC/ISRO, Bengaluru.
Spacecraft is now in 41762 km x 173 km orbit. pic.twitter.com/4gCcRfmYb4
मून ऑर्बिट की ओर बढ़ रहा चंद्रयान-3:
चंद्रयान-3 मिशन, चांद की ओर अपनी सामान्य गति से बढ़ रहा है. चंद्रयान-3 के इलिप्टिकल ऑर्बिट का दायरा मैन्यूवर्स के माध्यम से बढ़ता जा रहा है. जिसके बाद यह ट्रांसफर ऑर्बिट में पहुंचेगा जहां से चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल उसे चांद की ऑर्बिट में खींच लेगा. चंद्रमा की सतह से 100-किलोमीटर ऊपर ऑर्बिट में प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर व रोवर अलग हो जायेंगे.
इसरो वैज्ञानिक मैन्यूवर्स के जरिये चंद्रयान-3 को चंद्रमा की ओर 3.8 लाख किलोमीटर की यात्रा में पृथ्वी से दूर लेकर जा रहे है. अंतरिक्ष यान की अपोजी (पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु) को बढ़ाने के लिए किया गया ऑपरेशन योजना के अनुसार दोपहर लगभग 12.05 बजे शुरू हुआ और साढ़े 11 मिनट तक चला और यह सफल रहा.
चंद्रयान-3 के लिए क्या है चुनौती:
चंद्रयान-3 मिशन की सबसे मुख्य चुनौती चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की है. जहां पर इसरो के साइंटिस्ट अपना पूरा ध्यान केन्द्रित किये हुए है. प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर और रोवर के अलग होने के बाद चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग की कोशिश की जाएगी.
चंद्रयान-2 मिशन सॉफ्ट लैंडिंग में ही विफल हुआ था. चंद्रयान-2 मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी, लैंडिंग प्रक्रिया के दौरान इसरो का सम्पर्क टूट गया था. कई साइंटिस्टों का मानना था कि लैंडर, चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के दौरान अपनी गति को नियंत्रित नहीं कर पाया था. हालांकि इसरो ने इससे बहुत कुछ सिखा और चंद्रयान-3 के साथ ऐसी गड़बड़ी न हो इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
मून के साउथ पोल पर लैंड करेगा चंद्रयान-3:
चंद्रयान- 3 की लैंडिंग मून के दक्षिणी ध्रुव पर की जाएगी. यदि इसरो के साइंटिस्ट ऐसा कराने में सफल होते है तो भारत का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा. वर्ष 1969 में इसरो की स्थापना के बाद से देश की अंतरिक्ष एजेंसी ने उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले कुल 89 मिशनों को अंजाम दे चुका है.
संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ही तीन इकलौते देश है जिन्होंने सफलतापूर्वक लूनर लैंडिंग करायी है, यदि भारत अपने इस मिशन में सफल होता है तो यह चौथा देश बन जायेगा.
चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह से जुड़ी जानकारी एकत्र करना है जिसमें चंद्रमा के भूविज्ञान और उसके विकास के बारे में जानना साथ ही चंद्रमा के इतिहास, विकास और संरचना के बारें में अधिक जानकारी एकत्र करना है.
चंद्रयान-3 मिशन का बिहार कनेक्शन:
चंद्रयान-3 मिशन में बिहार के दो वैज्ञानिक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. समस्तीपुर (बिहार) के अमिताभ कुमार चंद्रयान-3 मिशन में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका निभा रहे है. अमिताभ वर्ष 2002 में इसरो से जुड़े थे. उनकी शुरुआती शिक्षा समस्तीपुर में ही हुई थी.
सीतामढ़ी, बिहार के रहने वाले रवि कुमार भी चंद्रयान-3 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका में है. रवि इसरो में एक सैटेलाइट साइंटिस्ट के तौर पर कार्यरत है. वह इस मिशन में नेटवर्क सिक्योरिटी हैंडल कर रहे हैं. रवि के योगदान पर उनका परिवार गौरवान्वित है. उनके पिता एक पूर्व बैंककर्मी है. रवि 2021 में इसरो से जुड़े थे.
Thank You! pic.twitter.com/G8djCjIIly
— ISRO (@isro) July 14, 2023
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