पहली बार महिलाओं ने प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह के अंदरूनी भाग में प्रवेश किया. दरगाह में महिलाओं के प्रवेश हेतु भूमाता ब्रिगेड ने लम्बे समय तक अभियान चलाया.
इसके लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी गयी.
देश भर से लगभग 80 महिलाओं ने हाजी अली दरगाह में प्रवेश किया. 2 वर्ष पहले भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA) ने दरगाह के मुख्य हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी.
भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई ने शनि शिंगणापुर मंदिर और हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश हेतु अभियान चलाया. महिला-पुरुष गैरबराबरी के विरुद्ध लड़ाई में 29 नवम्बर 2016 को सफलता प्राप्त हुई. तृप्ति देसाई के अनुसार महिला-पुरुष गैरबराबरी के मामले में यह बड़ी जीत है.
उच्च न्यायालय का निर्णय-
- इस वर्ष अगस्त में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महिलाओं को हाजी अली दरगाह में मजार तक जाने पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया.
- उच्च न्यायालय ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है.
- इस फैसले को दरगाह ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
- 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा.
- दरगाह ट्रस्ट ने निर्णय को लागू करने हेतु सुप्रीम कोर्ट से 4 हफ्ते का समय माँगा था.
बीएमएमए की घोषणा-
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए/ BMMA) ने 29 नवंबर को महिलाओं के हाजी अली दरगाह में प्रवेश करने की घोषणा की थी.
- महिलाओं ने दरगाह पहुंचकर हाजी अली को चादर और फूल चढ़ाने के साथ शांति की दुआ की.
- दरगाह में नई व्यवस्था के अनुसार अब कोई भी व्यक्ति हाजी अली की मजार को नहीं छू सकेगा.
- अब महिलाओं और पुरुषों, दोनों को ही मजार से करीब 2 मीटर की दूरी पर खड़ा होना पड़ेगा.
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