अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई तालिबान के साथ शांति वार्ता में शामिल होने को 20 जून 2013 को तैयार हो गए, लेकिन अमेरिका द्वारा अपने वायदे पूरे किए जाने पर ही उनके द्वारा ऐसा किया जाना है.
दरअसल अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने वादा किया था कि कतर कार्यालय से तालिबानी झंडा और उसके पूर्व शासन की नेमप्लेट हटाई जानी है तथा अमेरिकी सरकार द्वारा अफगान सरकार के समर्थन करने के बारे में औपचारिक पत्र जारी किया जाना है.
इससे पहले अफगानिस्तान ने तालिबान के साथ बातचीत की घोषणा के बाद अमेरिका से द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता पर बातचीत 19 जून 2013 को रोक दी और राष्ट्रपति हामिद करजई ने कतर में तालिबान के नए दफ्तर में भेजे जाने वाले एक प्रतिनिधिमंडल की योजना रद्द कर दी थी. इसके साथ ही राष्ट्रपति हामिद करजई के नेतृत्व वाली सरकार ने कतर में दफ्तर खोल चुके तालिबान के साथ संभावित संवाद का भी बहिष्कार करने की चेतावनी दी थी.
किस बात पर है विवाद
अफगानिस्तान सरकार ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते के सिलसिले में बातचीत स्थगित करने का यह कदम तालिबान द्वारा 19 जून 2013 को दोहा में अपना दतर खोले जाने और अमेरिका की ओर से तालिबान के साथ सीधी बातचीत शुरू करने की घोषणा के बाद उठाया था. शांति वार्ता के संदर्भ में तालिबान का यह दफ्तर खुला है जिसे इस्लामिक एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान नाम दिया गया. अफगानिस्तान प्रशासन की मुख्य आपत्ति इसी नाम को लेकर है. इसकी स्थापना वर्ष 1996 में हुई थी जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन प्रारंभ किया था. वर्ष 2001 में तालिबान के पतन के साथ ही इसका अंत हो गया था.
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