पूर्व भारतीय फुटबाल कप्तान बाईचूंग भूटिया एशियन फुटबाल कंफेडरेशन (एएफसी) हॉल ऑफ फेम अवार्ड पाने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. यह पुरस्कार 30 नवंबर 2014 को फीफा अध्यक्ष सेप ब्लाटर द्वारा फिलीपींस में दिया गया.
एएफसी द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन अपने 60वें स्थापना दिवस को मनाने के लिए किया गया था.
भूटिया के अतिरिक्त एशिया के 09 अन्य दिग्गज खिसाड़ियों को भी सम्मानित किया गया.
बाईचूंग भूटिया ने भारत के लिए कुल 107 मैच खेले और 42 गोल किए.
बाईचूंग भूटिया-
बाईचूंग भूटिया मूल रुप से असम के रहने वाले हैं और स्ट्राइकर के तौर पर खेलते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाईचूंग भूटिया को भारतीय फुटबाल के ध्वजवाहक के रूप में जाना जाता है.
सिक्किमवासियों के बीच वह अपनी गोल करने की क्षमता के कारण स्नाइपर के नाम से लोकप्रिय हैं. वे तीन बार इंडियन प्लेयर ऑफ द इयर रह चुके हैं.
वे तिब्बत आंदोलन के समर्थन में ओलंपिक मशाल का वहिष्कार करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे.
अक्टूबर 2010 में बाईचूंग भूटिया ने कार्लोस सुआरेज और नाइक के साथ संयुक्त रूप में बाईचूंग भूटिया फुटबाल स्कूल की स्थापना की . अगस्त 2011 में बाईचूंग भूटिया ने अतर्राष्ट्रीय फुटबाल से संन्यास लेने की घोषणा की.
बाईचूंग भूटिया को मिले सम्मान-
1998 में अर्जुन अवार्ड
2008 में चौथा सवोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री
2014 में बंग भूषण अर्वाड
प्रथम बायो बस का परिचालन इंगलैंड में प्रारंभ
इंग्लैंड में मानव मल और खराब हो चुके खाने को ईंधन के तौर पर प्रयोग करके चलने वाली पहली बायो-बस का परिचालन प्रारंभ हो गया है.
यह सेवा ब्रिस्टल और बाथ के मध्य प्रारंभ की गई है.
इंजीनियरों का दावा है कि इससे ईंधन बचाने और और प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलेगी.
40 सीटर इस बस को सीवेज और फूड-वेस्ट से चलाने का दावा किया जा रहा है. इससे शहरी वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. इसके अतिरिक्त इसमें पारंपरिक डीजल इंजन के स्थान पर कम उत्सर्जन होता है.
टिप्पणी- बायो ईंधन को सीवेज और फूड वेस्ट को बायो मीथेन में बदलकर बनाया जाता है, इसका उचित प्रचार प्रसार करने पर हमें परंपरागत फॉसिल फ्यूल से निजात मिलेगी और ईंधन का स्थायी स्रोत प्राप्त होगा.
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