गुजरात के कोल्हट गांव में क्रीमियन कांगो हेमरेजिक फीवर (CCHF: Crimean–Congo hemorrhagic fever) के संक्रमण से तीन लोगों की मृत्यु जनवरी 2011 के तीसरे सप्ताह में हो गई. राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology) के अनुसार कांगो फीवर के लक्षण भारत में पहली बार पाए गए. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जम्मू-कश्मीर को छोड़कर भारत के अन्य हिस्सों में सीसीएचएफ विषाणु मौजूद हैं.
कांगो विषाणु यानी क्रीमियन कांगो हेमरेजिक फीवर विषाणु :
• वर्ष 1944 में क्रीमिया में सबसे पहले सीसीएचएफ विषाणु पाया गया. वर्ष 1969 में कांगो में भी सीसीएचएफ विषाणु का संक्रमण फैला. इसलिए दोनों देशों के नाम पर इस विषाणु का नाम पड़ा.
• सीसीएचएफ विषाणु नैरोवायरस समूह का विषाणु है.
• नैरोवायरस समूह आरएनए वायरस की बुनयाविरिडी फैमिली से संबंधित है.
• आम तौर पर जानवर इस विषाणु से संक्रमित होते हैं.
• जानवरों में यह विषाणु पिस्सू (Ticks) से फैलती है. जानवरों के संक्रमित खून या उत्तकों से मनुष्य में संक्रमण फैलता है.
कांगो विषाणु से संक्रमण के लक्षण: मनुष्य में सीसीएचएफ विषाणु के संक्रमण के 3-5 दिन के भीतर बुखार, सर दर्द, मितली, दस्त, चक्कर आना, गला बैठना, आंखों में जलन आदि प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं.
सीसीएचएफ विषाणु से संक्रमित लगभग 30 फीसदी मरीजों की मौत शरीर से खून का तेज रिसाव और विभिन्न अंगों का एक साथ निष्क्रिय होने से हो जाती है.
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