केंद्र सरकार ने 12 जुलाई 2015 को अपनी ओर से ब्रिटेन टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन के 20,000 करोड़ रूपए के कर सम्बन्धी मामले के लिए मध्यस्थता हेतु अंतरराष्ट्रीय वकील रोड्रिगो ओरेअमुनो को नियुक्त किया है. ओरेअमुनो की नियुक्ति भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर सी लाहोटी के स्थान पर हुई है जिन्होंने स्वयं को इस केस से मई 2015 में अलग कर लिया था.
वोडाफोन पहले से ही पैनल पर अपने उम्मीदवार के रूप में कनाडा के यवेस फोर्टीयर का नाम सुझा चुकी है. अब ओरेअमुनो तथा फोर्टीयर तीसरे मध्यस्थ का नाम सुझायेंगे जो मामले के लिए न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा.
केंद्र सरकार और वोडाफोन पहले ही तीसरे मध्यस्थ के रूप में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अब्दुलकवी अहमद यूसुफ को नियुक्त करने का फैसला कर चुकी है. हालांकि अब्दुलकवी ने जून 2015 में तीन सदस्यीय पैनल का हिस्सा बनने के लिए मना कर दिया था.
पृष्ठभूमि
भारत सरकार के अनुसार, वोडाफोन पर 20,000 करोड़ रुपए का कर बकाया है. यह करभार वोडाफोन द्वारा वर्ष 2007 में हच एस्सार की 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर की खरीद के बाद सीमा पार स्थानांतरण के कर के रूप में शामिल है. हालांकि, बुनियादी कर की मांग 7990 करोड़ रुपए थी.
जून 2013 में मंत्रिमंडल ने वोडाफोन के साथ सुलह को मंजूरी दी थी. वर्ष 2014 में भारत की ओर से मध्यस्ता की बात को यह कहते हुए नकार दिया गया था कि वोडाफ़ोन ने आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के हस्तांतरण मूल्य निर्धारण विवाद पर फैसले से पूर्व ही अपने हिसाब से कार्य करना आरंभ कर दिया था.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए-2 सरकार हस्तांतरण मूल्य निर्धारण विवाद सुलझाना चाहती थी ताकि सुलह के लिए हचिसन से बात की जा सके.
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