केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 27 अगस्त 2015 को देश में वन भूमि के परिवर्तन के लिए प्रतिपूरक राशि स्वीकार करने हेतु एक ई-भुगतान मॉड्यूल की शुरूआत की.
ई-भुगतान मॉड्यूल की मुख्य विशेषताएं
ई-भुगतान मॉड्यूल के माध्यम से भुगतान नामित खाते में किया जा सकता है यह उस राज्य पर निर्भर करता है जिसमें स्थित वन भूमि का बँटवारा होना प्रस्तावित है.
ई-पोर्टल के माध्यम से प्रतिपूरक उगाही उपार्जन 31 अगस्त 2015 तक वैकल्पिक रहेगा.
परंतु उपयोगकर्ता एजेंसियों द्वारा प्रतिपूरक उगाही का भुगतान 1 सितंबर 2015 से केवल ई-मॉड्यूल के माध्यम से स्वीकार किया जाएगा.
ई-भुगतान पोर्टल की सक्रियता के साथ ही कोई भी भुगतान पोर्टल के अलावा अन्य माध्यमों से स्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक विशेष औपचारिक आदेश कैम्पा द्वारा ना हों.
प्रारंभ में भुगतान के लिए दो प्रकार, आरटीजीएस के माध्यम से ऑनलाइन चालान मोड और एनईएफटी तथा ऑफलाइन चालान मोड की अनुमति दी जाएगी.
प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा)
कोई भी उपयोगकर्ता एजेंसी जो गैर वन प्रयोजन के लिए वन भूमि को बदल रहा/रही है उसके लिए सरकारी निकाय में निर्धारित राशि जमा करना आवश्यक है। इस राशि को एक तदर्थ समिति, प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) द्वारा प्रंबधित किया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर, 2002 के आदेश के तहत कैम्पा का गठन केन्द्र सरकार द्वारा किया गया था. तब से अभी तक 38,000 करोड़ रुपए तदर्थ कैम्पा में एकत्र हो चुके हैं.
इस निधि का प्रयोग वनीकरण और वन क्षेत्र तथा वन्य जीव संरक्षण की सुरक्षा सहित अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए किया जाता है. हालांकि राज्यों को पैसा चुकाने के लिए एक संस्था तंत्र के अभाव में एकत्रित राशि खर्च नहीं हो पायी है.
प्रतिपूरक उगाही की रसीद का सत्यापन अनौपचारिक रूप से कैम्पा के पास ही है जिसे अभी तक मैन्युअल रूप से किया जा रहा है.
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