महाराष्ट्र के कोयना क्षेत्र में भूकंप की क्रिया विधि को समझने के लिए 2 फरवरी 2016 को जियोफिजिक्स रिसर्च लेब्रोट्रेरी की आधारशिला रखी गई. केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कराड के हजारमाची में बोरहोल जियोफिजिक्स रिसर्च लेब्रोट्रेरी (बीजीआरएल) के निर्माण की आधारशिला रखी.
संबंधित मुख्य तथ्य:
• भारत सरकार का पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भूकंपीय समस्याओं की वजह से सामाजिक दिक्कतों की चुनौतियों को खत्म करने के लिए कराड में बोरहोल जियोफिजिक्स रिसर्च लेब्रोट्रेरी (बीजीआरएल) की स्थापना कर रहा है.
• इसके जरिये ड्रिलिंग इनवेस्टिगेशन किया जाएगा.
• महाराष्ट्र के भूकंपीय क्षेत्र कोयना के इंटर-प्लेट भूकंपीय इलाके में गहराई तक वैज्ञानिक ड्रिलिंग की मंत्रालय की अवधारणा के तहत बीजीआरएल की स्थापना का फैसला किया गया ताकि इलाके में भूकंप से जुड़े अनुसंधानों और मॉडलों की दिशा में काम किया जा सके.
• शिवाजी सागर लेक को वर्ष 1962 को ले लेने के बाद कोयना क्षेत्र में जलाशय की वजह से लगातार भूकंप आ रहे है.
• वर्ष 1967 में कोयना क्षेत्र में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था. अब तक 5 या इससे ज्यादा तीव्रता के 22 भूकंप आ चुके हैं. चार और इससे ज्यादा तीव्रता के 200 से ज्यादा भूकंप आ चुके हैं.
• इस क्षेत्र में कम तीव्रता के हजारों भूकंप आ चुके हैं. सभी भूकंप 30 गुना 20 किलोमीटर के दायरे में सीमित रहे हैं.
• लगातार भूकंपीय गतिविधियों और कोयना के वार्षिक लोडिंग और अनलोडिंग चक्र और निकटवर्ती वार्ना जलाशय में मजबूत संबंध है. हालांकि जलाशयों की ओर से भूकंप पैदा होने की परिघटना को समझने के लिए बनाए गए मॉडल से यह स्पष्ट नहीं हो सका है.
विदित हो कि उपरोक्त कार्यक्रम के तहत कोयना में भूकंप आने की क्रियाविधि को समझने के लिए एक एक खास नजरिया अपनाया जा रहा है. इसके लिए भूकंपीय क्षेत्र में गहरे तक खुदाई जाएगी और गहराई में एक बोरहोल वेधशाला स्थापित की जाएगी. इस तरह प्रत्यक्ष अवलोकन से इन भूकंपों की क्रिया विधि का मॉडल तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण और नई जानकारी मिल सकेगी.
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