जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को दिए गए अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने असंवैधानिक करार दिया. इस फैसले को दलितों के हितों पर कुठाराघात करार देते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को पत्र लिखकर अपनी बात मई 2011 के प्रथम सप्ताह में स्पष्ट कर दी.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में फिलहाल पुरानी व्यवस्था कायम रखे जाने की अपील की. मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को भेजे पुनिया के इस पत्र में कहा गया है कि जामिया को अल्पसंख्यक दर्जा देना अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों से अच्छी शिक्षा व नौकरी के अवसर छीनने जैसा है.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया ने पत्र में यह तर्क दिया कि संविधान के तहत अनुसूचित जाति के लोगों को जामिया में नियुक्तियों और प्रवेश में मिलने वाला कोटा जारी रहना चाहिए, क्योंकि यह केंद्रीय विश्वविद्यालय है. ज्ञातव्य हो को संविधान के अनुच्छेद 338 (9) में साफ लिखा है कि अनुसूचित जाति पर प्रभाव डालने वाले किसी भी नीतिगत फैसले पर केंद्र या राज्य को आयोग से चर्चा करनी है. लेकिन जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देते समय राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से चर्चा नहीं की गई थी.
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