11 जनवरी 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि ऐसी बहु-राष्ट्रीय कंपनी जिसका इस देश से कोई भी व्यावसायिक संबंध नहीं है, उनका नाम, ट्रेडमार्क, लोगो या वेब-डोमेन देशी कंपनी रख सकती है. उच्च न्यायालय ने यह साफ़ किया कि किसी व्यावसायिक नाम या वेब-डोमेन के रजिस्ट्री के साथ-साथ उस संस्था का व्यवसाय भी इस देश में होना जरूरी है. न्यायालय के अनुसार गैर-व्यावसायिक लोग या संस्था आजकल चर्चित नामों की रजिस्ट्री करवा लेते हैं और बाद में उसे अच्छी कीमत पर बेच देते हैं.
अमेरिकी कंपनी ‘सेंचुरी 21 रियल इस्टेट एलएलसी’ बनाम भारतीय कंपनी ‘सेंचुरी 21 मेन रियल्टी प्राईवेट लिमिटेड’ के मुक़दमे में न्यायालय ने तर्क दिया कि चूँकि अमेरिकी कंपनी का भारत में कोई व्यवसाय नहीं है, अतः भारतीय कंपनी का उनसे मिलता-जुलता नाम उनके व्यवसाय पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा.
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