राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने बैंकों और ऋणदाता एजेंसियों के लिए पुनर्वित्त-दरें 0.20 प्रतिशत 11 जनवरी 2014 को घटा दी. इसका उद्देश्य ग्रामीण ऋण और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना है. नई दरें 7 जनवरी 2014 से लागू हो गई.
पुनर्वित्त पर संशोधित ब्याज-दर वाणिज्यिक, राज्य सहकारी, क्षेत्रीय ग्रामीण और प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों के लिए 9.90 प्रतिशत से घटाकर 9.70 प्रतिशत कर दी गई है, जो पाँच वर्ष तक लागू रहेगी.
नाबार्ड की अधिसूचना के अनुसार एक एकल आहरण में 500 करोड़ रुपये और उससे अधिक का पुनर्वित्त आहरित करने वाले बैंकों को 0.10 प्रतिशत की और कटौती प्रदान की जाएगी. नाबार्ड की अधिसूचना के अनुसार 10 आधार-बिंदुओं की कटौती राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण बैंकों (एससीआरडीबी) को 200 करोड़ रुपये और उससे अधिक के एक एकल आहरण के लिए प्रदान की जाएगी.
नाबार्ड के अनुसार इस कटौती से निवेश-ऋण बढ़ाकर बैंकों को प्रोत्साहन मिलेगा. यह भारत में कृषि-वस्तुओं के लिए वेयरहाउस-इन्फ्रास्ट्रक्चर सृजित करने में भी मदद मिलेगा.
नाबार्ड के संबंध में
नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) की स्थापना 12 जुलाई 1982 को भारतीय रिज़र्व बैंक के कृषि-ऋण संबंधी कार्य और तत्कालीन कृषि पुनर्वित्त और विकास निगम (एआरडीसी) के पुनर्वित्त संबंधी कार्य स्थानांतरित करके की गई थी. नाबार्ड को राष्ट्र की सेवा में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी द्वारा 5 नवंबर 1982 को समर्पित किया गया था.
नाबार्ड की स्थापना 30 मार्च 1979 को कृषि और ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत वित्त (सीआरएएफआईसीएआरडी) की व्यवस्थाओं की समीक्षा करने के लिए गठित की गई एक समिति की सिफारिशों के अनुसरण में की गई थी. समिति का गठन रिज़र्व बैंक द्वारा बी. शिवरामन की अध्यक्षता में किया गया था. संसद ने 1981 के अधिनियम 61 द्वारा नाबार्ड की स्थापना को मंजूरी दी थी.

Comments
All Comments (0)
Join the conversation