22 मई: अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस
‘अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस’ 22 मई 2015 को मनाया गया. इसे 'विश्व जैव-विविधता संरक्षण दिवस' भी कहते हैं. वर्ष 2015 के अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस का विषय 'निरंतर विकास के लिए जैव विविधता’ (Biodiversity for Sustainable Development) रखा गया.
अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस’ का उद्देश्य पारिस्थितिकीय तंत्र के संरक्षण एवं संवर्द्धन के प्रति जन-जागरूकता को फैलाना है. अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पृथ्वी पर जीवन और मानवता की भलाई के लिए जैव विविधता की बुनियादी भूमिका को पहचानने के साथ-साथ जैव विविधता के महत्व और खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. प्रतिवर्ष इस दिवस को मनाकर हम भावी पीढि़यों के लिए जैव-संसाधनों की मूल्यवान विरासत की रक्षा करने का संकल्प और जिम्मेदारी लेते हैं.
अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस धरती को बच्चों से उधार लिया गया है न कि यह पूर्वजों से विरासत में मिली है. भारत के समक्ष अनिवार्य चुनौती निरंतर विकास के लिए जैव विविधता को आत्मसात करने की है.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्राकृतिक एवं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में जैव-विविधता का महत्व देखते हुए ही जैव-विविधता दिवस को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. नैरोबी में 29 दिसंबर 1992 को हुए जैव-विविधता सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया था, किंतु कई देशों द्वारा व्यावहारिक कठिनाइयां जाहिर करने के कारण इस दिन को 29 मई की बजाय 22 मई को मनाने का निर्णय लिया गया.
इसमें विशेष तौर पर वनों की सुरक्षा, संस्कृति, जीवन के कला शिल्प, संगीत, वस्त्र-भोजन, औषधीय पौधों का महत्व आदि को प्रदर्शित करके जैव-विविधता के महत्व एवं उसके न होने पर होने वाले खतरों के बारे में जागरूक करना है.
विदित हो कि भारत ने जैव-विविधता सम्मेलन के 11वें अधिवेशन का आयोजन अक्टूबर 2012 में हैदराबाद में किया था. इसलिए भारत इस समय इससे जुड़े विभिन्न पक्षों के सम्मेलन का अध्यक्ष रहा. वर्ष 2014 के अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस का विषय ‘द्वीपीय जैव-विविधता’ रखा गया.
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