प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (Competition Appellate Tribunal, कॉम्पैट) ने 19 मई 2014 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा रियल स्टेट कंपनी डीएलएफ पर लगाए गए 630 करोड़ रूपए के जुर्माने को सही ठहराया. इसके बाद डीएलएफ को सीसीआई द्वारा लगाए गए 630 करोड़ रूपए के जुर्माने के 9 फीसदी ब्याज के साथ चुकाना होगा.
सीसीआई का यह पहला प्रमुख फैसला था जिसे कॉम्पैट ने बनाए रखा. जुर्माने के भुगतान के लिए कॉम्पैट ने डीएलएफ को 60 दिनों का समय दिया है.
इससे पहले 12 अगस्त 2011 को सीसीआई ने डीएलएफ पर गुड़गांव में एक आवासीय सोसायटी के संबंध में उसकी प्रमुख बाजार स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए जुर्माना लगाया था. सीसीआई ने यह जुर्माना प्रतियोगिता अधिनियम , 2002 की धारा 4 का उल्लंधन करने के लिए लगाया था.
सीसीआई ने यह जुर्माना डीएलएफ के दो परियोजनाओं – डीएलएफ पार्क पैलेस और द बेलायेर में फ्लैट खरीददारों की शिकायत के बाद लगाया था. खरीददारों का कहना था कि डीएलएफ ने और अधिक फ्लोर बनाने के लिए योजना में हुए बदलाव के कारण अपार्टमेंट में फ्लैट का कब्जा देने में देरी की.
कॉम्पैट का यह आदेश देश भर के बिल्डरों के आवासीय परिसरों में सुपर– एरिया और सामान्य एरिया के लिए बनाए गए नियमों का पालन करने के संबंध में कठोर संदेश है.
प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण ( कॉम्पैट)
प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (कॉम्पैट) एक वैधानिक संस्था है. इसकी स्थापना प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के तहत की गई थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. इसका गठन 15 मई 2009 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा जारी किए गए किसी भी निर्देश या फैसले या पारित किए गए आदेश से संबंधित शिकायत सुनने और उसके निपटारे के लिए किया गया था.
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश डॉ. न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत इसके पहले अध्यक्ष नियुक्त किए गए. अपीलीय न्यायाधिकरण में अध्यक्ष के अलावा केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते . अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय का न्यायधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश ही हो सकता है.
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