भारत-चीन का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2012-13 में 10.1 प्रतिशत घटकर 66.47 अरब डॉलर हो गया. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2010 में 42.66 प्रतिशत बढ़कर 61.74 अरब डॉलर रहा जो 2011 में 19.71 प्रतिशत बढ़कर 73.9 अरब डॉलर हो गया था. यह आंकड़े चीन के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जनवरी 2013 में जारी किए गए.
लौह अयस्क के निर्यात में गिरावट के कारण चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 28.87 अरब डॉलर रहा. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011 की तुलना में व्यापार घाटे में 1.79 अरब डॉलर की वृद्धि हुई. यह वैश्विक व्यापार में गिरावट के अनुरुप है.
भारत का चीन को निर्यात वर्ष 2012 में 19.6 प्रतिशत घटकर 18.8 अरब डॉलर रहा. वर्ष 2010 तथा 2011 में यह क्रमश: 23.41 अरब डॉलर तथा 20.86 अरब डॉलर था.
आंकड़ों के अनुसार वहीं चीन का भारत को निर्यात 5.7 प्रतिशत घटकर 47.67 अरब डॉलर रहा. वर्ष 2010 और 2011 में यह क्रमश: 40.88 अरब डॉलर तथा 50.49 अरब डॉलर था.
वर्ष 2010 से दोनों देशों के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही थी. दोनों देशों को अनुमान है कि उनका द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा लेकिन भारतीय निर्यात बढ़ने को लेकर कुछ शंकाएं बनी हुई है क्योंकि चीन ने अभी तक अपने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को ज्यादा नहीं खोला है. औषधि क्षेत्र में भारतीय निर्यात अधिक नहीं बढ़ पाया है.
विदित हो की दोनों देशों ने 2015 तक द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
भारत-चीन का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2012-13 में 10.1 प्रतिशत घटकर 66.47 अरब डॉलर हो गया. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2010 में 42.66 प्रतिशत बढ़कर 61.74 अरब डॉलर रहा जो 2011 में 19.71 प्रतिशत बढ़कर 73.9 अरब डॉलर हो गया था. यह आंकड़े चीन के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जनवरी 2013 में जारी किए गए.
लौह अयस्क के निर्यात में गिरावट के कारण चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 28.87 अरब डॉलर रहा. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011 की तुलना में व्यापार घाटे में 1.79 अरब डॉलर की वृद्धि हुई. यह वैश्विक व्यापार में गिरावट के अनुरुप है.
भारत का चीन को निर्यात वर्ष 2012 में 19.6 प्रतिशत घटकर 18.8 अरब डॉलर रहा. वर्ष 2010 तथा 2011 में यह क्रमश: 23.41 अरब डॉलर तथा 20.86 अरब डॉलर था.
आंकड़ों के अनुसार वहीं चीन का भारत को निर्यात 5.7 प्रतिशत घटकर 47.67 अरब डॉलर रहा. वर्ष 2010 और 2011 में यह क्रमश: 40.88 अरब डॉलर तथा 50.49 अरब डॉलर था.
वर्ष 2010 से दोनों देशों के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही थी. दोनों देशों को अनुमान है कि उनका द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा लेकिन भारतीय निर्यात बढ़ने को लेकर कुछ शंकाएं बनी हुई है क्योंकि चीन ने अभी तक अपने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को ज्यादा नहीं खोला है. औषधि क्षेत्र में भारतीय निर्यात अधिक नहीं बढ़ पाया है.
विदित हो की दोनों देशों ने 2015 तक द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
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