भारतीय विधि आयोग ने 27 अगस्त 2015 को बाल विकास और कानूनी हक नामक शीर्षक से 259वीं रिपोर्ट केंद्रीय कानून मंत्री डी वी.संदानंद गौडा को प्रस्तुत की.
रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय समझौतों एवं बचपन से संबंधित व्यवहारों तथा प्रस्तुत सुझावों द्वारा 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की स्थिति में सुधार करने सहित वर्तमान संवैधानिक, कानूनी और नीतिगत ढांचों का विश्लेषण किया गया है.
रिपोर्ट के महत्वपूर्ण सुझाव
बच्चे की बुनियादी देखभाल तथा सहायता को एक प्रवर्तनीय अधिकार बनाने को सुनिश्चत करने के लिए संविधान के भाग III में अनुच्छेद 24ए को सम्मलित किया गया है.
इसके तहत हर बच्चे के पास देखभाल करने और बुनियादी जरूरतों की सहायता तथा उपेक्षा के सभी रूपों, नुकसान और शोषण से सुरक्षा का अधिकार होना चाहिए.
6 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार को विस्तारित करने के क्रम में संविधान के अनुच्छेद 21 ए में संशोधन किया जाना चाहिए.राज्य कानून द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करनी चाहिए.
संविधान के अनुच्छेद 51 ए (के) में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य सुनिश्चत हो सके जिससे माता-पिता/अभिभावक अपने बेटे/बेटी को शिक्षा के अवसर प्रदान कर सकें.
बचपन के विकास को बढ़ावा देने पर उचित रूप में ध्यान देने के लिए एक सांविधिक प्राधिकरण या बचपन विकास परिषद का एक क्रम में गठन करना चाहिए.
स्कूल-पूर्व शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए प्रवाधान बनाने चाहिए और गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम निधि के लिए एक बजटीय आवंटन होना चाहिए. खेल और सीखने के सर्वोत्तम तरीकों का एक उचित कार्यान्वयन होना चाहिए.
यह सुझाव दिया जाता है कि 6 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक छात्र को बिना किसी शर्त के क्रेच और दिन की देखभाल प्रदान करने, राज्य द्वारा विनियमित एंव संचालित अधिकार प्राप्त होने चाहिए. इसका स्पष्ट उदाहरण फिनलैंड के बाल दिवस 69 कानून, देखभाल 1973 में देखने को मिलता है.
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