मई 2014 में थोक महंगाई दर दिसंबर 2013 के बाद से अपने उच्चतम स्तर 6.01 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि थोक मूल्यों वाली मुद्रास्फीति की यह दर अप्रैल 2014 में 5.2 प्रतिशत और मई 2013 में 4.58 प्रतिशत थी. इसका कारण फल, सब्जी और मोटे अनाज जैसी खाद्य वस्तुओँ की कीमतों में वृद्धि रही. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा यह आंकड़े 16 जून 2014 को जारी किए गए.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मई 2014 में प्राथमिक वस्तुओं और खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर क्रमशः 8.58 और 9.50 प्रतिशत रही. थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित इस महंगाई दर में प्राथमिक वस्तुओं का वजन 20.11 तथा खाद्य वस्तुओं का 14.33 प्रतिशत है.
खाद्य वस्तुओं में आलू के भाव अप्रैल 2014 के मुकाबले 19.23 तथा प्याज के 8.53 प्रतिशत और सभी सब्जियों के औसतन 6.7 प्रतिशत बढ़े.
कॉफी और चाय के साथ-साथ पोल्ट्री और मछली के दामों में भी वृद्धि दर्ज की गई.
मई 2013 की तुलना में मई 2014 में आलू 31.44, चावल 12.75, अनाज 7.67, फल 19.40 और ईंधन उत्पाद 10.53 प्रतिशत महंगे हुए.
मई 2014 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर तीन माह के निचले स्तर 8.28 प्रतिशत पर आ गई है.
विश्लेषण
खाद्य वस्तुओं और ईंधन के महंगे होने से महंगाई में वृद्धि चिंता का विषय है. औद्योगिक उत्पादन को गति देने के लिए बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करना आवश्यक है. क्योंकि इसके अधिक होने से ब्याज दरों का स्तर भी ऊंचा रहा है.
खाद्य महंगाई में वृद्धि से उद्योग क्षेत्र के लिए पूंजी की लागत बढ़ गई है. जिसके कारण आर्थिक विकास दर भी प्रभावित इसलिए विकास दर को पटरी पर लाने के लिए खाद्य महंगाई को काबू करने पर जोर देना चाहिए.
भारत सरकार को खाद्य महंगाई नियंत्रित करने के लिए मॉडल कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमेटी कानून को लागू करना चाहिए. उन्नत आपूर्ति श्रृंखला बनानी चाहिए. कृषि में निवेश बढ़ाने के अलावा और खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को प्रोत्साहित करना चाहिए. थोक महंगाई दर जनवरी 2014 में 5.11 प्रतिशत, फरवरी 2014 में 5.03 प्रतिशत, मार्च 2014 में 6.00 प्रतिशत, अप्रैल 2014 में 5.20 प्रतिशत रही.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation