मशीन से काटे जा सकने वाली काबुली चने की पहली किस्म NbeG 47 जारी की गयी

Feb 16, 2016, 18:35 IST

4 फरवरी 2016 को आंध्र प्रदेश में काबुली चने की मशीन से काटे जा सकने वाली पहली किस्म NbeG 47 को जारी किया गया.

4 फरवरी 2016 को आंध्र प्रदेश में काबुली चने की मशीन से काटे जा सकने वाली पहली किस्म NbeG 47 को जारी किया गया. इसे इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी–एरिड–ट्रॉपिक्स (इक्रिसैट) ने जारी किया.

2.25 टन काबुली चने की कटाई की सामान्य प्रक्रिया में तीन दिन लगते हैं जबकि नई किस्म को मानक मशीनों द्वारा सिर्फ 75 मिनटों में काटा जा सकेगा. ऐसा काबुली चने की लंबी प्रजाति के प्रजनन से संभव किया गया है जो मशीन से कटाई के लिए उपयुक्त है और यह लागत प्रभावी भी होगा.

भारत के  अन्य हिस्सों जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में मशीन से काटे जा सकने वाले काबुली चने की प्रजातियों को विकसित करने के शोध प्रयास चल रहे हैं.

काबुली चने की प्रजाति NbeG 47 के बारे में
• इस नई प्रजाति को डेवलपिंग चिकपी वेराइटीज सुटेबल फॉर मशीन हार्वेस्टिंग एंड टॉलरेन्ट टू हर्बीसाइड्स शीर्षक वाली परियोजना के माध्यम से विकसित किया गया था.
• इसे केंद्रीय कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कृषि एवं समन्वय विभाग के सहयोग से वित्त पोषित किया गया था.
• इसे खेतों में मजदूरों की कमी और कड़ी मेहनत खासकर महिला मजदूरों के लिए, को कम करने हेकु विकसित किया गया था.
• इसे आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के खेतों में उगाया गया था.
• इस प्रजाति को आचार्य एन जी रंगा कृषि विश्वविद्यालय में काबुली चने के प्रजनन के लिए मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर वीरा जयलक्ष्मी ने इक्रीसैट के सहयोग से किया था.
• इस प्रजाति को विकसित करने के लिए प्रजनन सामग्री और तकनीकी सहयोग इक्रीसैट ने मुहैया कराया था.
• यह मजदूरों खासकर महिलाओँ के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है क्योंकि इसमें एसिड की उच्च मात्रा होती है और फसल के रख–रखाव में दर्दभरा सूजन हो जाता है.
• इस नई प्रजाति की पैदावर प्रति हेक्टेयर 2.25 टन होगी बशर्ते पौधों के लिए बताई गई दूरी का पालन किया जाए. मौजूदा किस्म जेजी 11 की पैदावार प्रति हेक्टेयर 1.275 से 2.5 टन है.
• यह असमय वर्षा और मौसम संबंधी अन्य चरम परिस्थितियों में पकी हुई फसल के बर्बाद होने के जोखिम को कम करेगा.

इक्रीसैट के बारे में
• इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी–एरिड– ट्रॉपिक्स (इक्रिसैट) की स्थापना 1972 में फोर्ड और रॉकफेल्लर फाउंडेशन द्वारा बुलाए गए संघटनों के संघ ने किया था.
• इसके चार्टर पर फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द यूनाइटेड नेशंस (एफएओ) और यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) द्वारा हस्ताक्षर किया गया था.
• यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो ग्रामीण विकास के लिए कृषि अनुसंधान करती है और इसका मुख्यालय हैदराबाद, तेलंगाना में है.
• अपने स्थापना के बाद से भारत ने इक्रीसैट को भारतीय सीमा में काम करने वाले संयुक्त संगठन को विशेष दर्जा प्रदान किया है जिसकी वजह से इक्रीसैट विशेष छूट और कर विशेषाधिकारों का पात्र बना है.
• इसका प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय शासी बोर्ड के समग्र मार्गदर्शन में एक पूर्ण कालिक महानिदेशक करते हैं.

Manish Malhotra is a content writer with 10+ years of experience in the education industry in digital media. He?s a graduate in arts. At jagranjosh.com, Manish creates content related to Govt Job Notifications and can be reached at manish.malhotra@jagrannewmedia.com
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