राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली में बोरलॉग ग्लोबल रस्ट इनीशिएटिव की तकनीकी कार्यशाला का उद्घाटन 19 अगस्त 2013 को किया. इस कार्यशाला में 400 से अधिक वैज्ञानिकों, फसल विशेषज्ञों और किसानों द्वारा भाग लिया जाना है.
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री आसानी से उपलब्ध हो, इसके लिए कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन, खाद्य सामग्री की कमी को दूर करना, गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ाना और गांवों के लोगों की आमदनी बढ़ाना, ये सभी लक्ष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और खाद्य उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि से प्राप्त किए जा सकते हैं .
रस्ट लगने की बीमारी बहुत बड़ी चुनौती है और गेहूं की लगभग 90 प्रतिशत प्रजातियां इससे प्रभावित हैं. डॉ नोर्मन बोरलॉग ने गेहूं की कम ऊँचाई वाली, अधिक पैदावार वाली और रोग-रोधी किस्में विकसित करके लाखों लोगों को भूख से बचाया. वर्ष 1960 के दशक के बाद से भारत में गेहूं के उत्पादन में लगभग 9 गुना की वृद्धि हुई है और यह साढ़े 9 करोड़ टन के स्तर तक पहुंच गया है. वर्ष 2013 में 2.32 लाख करोड़ रुपये के कृषि उत्पादनों का निर्यात हुआ.
नोर्मन बोरलॉग
• अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक को वर्ष 1970 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
• डॉ नोर्मन बोरलॉग हरित क्रांति के जनक के रूप में जाने जाते हैं .
• उन्होंने गेहूं की ऐसी किस्में विकसित कीं, जो न केवल रोग-रोधी हैं, बल्कि जलवायु की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देती हैं .
• उनके प्रयासों से भारत को गेहूं की ये किस्में प्राप्त हुईं और सरकार की अच्छी नीतियों तथा अनुसंधान और विकास के प्रयासों से देश में हरित क्रांति आई.
• उनका जन्म 25 मार्च 1914 को हुआ था.
नोबेल पुरस्कार प्राप्त कृषि वैज्ञानिक नोर्मन बोरलॉग की प्रतिमा का नई दिल्ली में अनावरण...
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