प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 अगस्त 2014 को रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान को व्यय प्रबंधन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया. यह आयोग खाद्य, खाद और तेल सब्सिडी को घटाने तथा राजकोषीय घाटे को कम करने के तरीके सुझाएगा.
व्यय प्रबंधन आयोग
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई में बजट पेश करते हुए व्यय प्रबंधन आयोग बनाने की घोषणा की थी. व्यय प्रबंधन आयोग आयोग को सरकारी खर्च की समीक्षा और अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए किया गया है. यह आयोग वित्त वर्ष 2015-16 के बजट से पहले अपनी अंतरिम रिपोर्ट तथा बजट 2016-17 से पहले अंतिम रिपोर्ट सौंप देगा.
खाद्य, पेट्रोलियम और उर्वरक पर सब्सिडी
वर्ष 2013-14 के लिए संशोधित अनुमान में, खाद्य, पेट्रोलियम और उर्वरकों पर सब्सिडी बिल 245451.50 करोड़ रुपए था. वर्ष 2014-15 के लिए सब्सिडी बिल 251397.25 करोड़ रुपए होने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2014-15 में ऊंचे सब्सिडी बिल की वजह उर्वरक क्षेत्र के लिए आवंटन में बढ़ोतरी है. अंतरिम बजट में 67,970 करोड़़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी का अनुमान लगाया गया था. सरकार ने पूरे वित्त वर्ष के लिए 72,970.30 करोड़़ रुपये की उर्वरक का अनुमान लगाया है.
सरकार ने खाद्य सब्सिडी हेतु 1,15,000 करोड़़ रुपये का आवंटन किया जिसमें 88,500 करोड़़ रुपये का प्रावधान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन के लिए किया गया.
पूर्व व्यय सुधार आयोग
वर्ष 1999-2000 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पूर्व वित्त सचिव केपी गीताकृष्णनन की अध्यक्षता में व्यय सुधार आयोग (ईआरसी) का शुरूआत की. यह आयोग केंद्रीय सरकारी मशीनरी को कम करने और कुछ सरकारी विभागों के समापन के लिए सिफारिश की. आयोग की कुछ सिफारिशों को वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के शासनकाल के दौरान लागू किया गया.
वर्ष 2002 में, यूपीए सरकार ने राजकोषीय समेकन योजना के लिए पूर्व वित्त सचिव, विजय केलकर को नियुक्त किया था. उनके पैनल ने डीजल में वृद्धि और गैस की कीमतों में सुझाव दिया. उनकी सिफारिशों का आज पालन हो रहा हैं.

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