भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रीयल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ व उसके अध्यक्ष केपी सिंह सहित छह कार्यकारी अधिकारियों पर तीन वर्ष के लिए प्रतिभूति बाजार में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया. इस प्रतिबंध की जानकारी 13 अक्टूबर 2014 को दी गई.
यह निर्णय कंपनी के 2007 में आए प्रथम सार्वजनिक शेयर निर्गम (आईपीओ) के संदर्भ में प्रस्तुत सूचनाओं में कथित गड़बड़ी के मामले से जुड़ा है. सेबी ने कंपनी को तथ्यों को सक्रिय रूप से व जानबूझकर छिपाकर रखने का दोषी पाया.
कंपनी और उसके उच्च कार्यकारियों को सूचनाओं को सार्वजनिक करने और निवेशक संरक्षण (डीआईपी) संबंधी सेबी के दिशानिर्र्देशों के अलावा व्यापार में धोखाधड़ी वाले और अनुचित व्यवहार रोधक (पीएफयूटीपी) नियमों के उल्लंघन का भी दोषी पाया गया.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य राजीव अग्रवाल ने नियामक के 43 पृष्ठ के आदेश में कहा, ‘मैने पाया कि यह मामला सक्रिय तरीके से और जानबूझकर किसी सूचना को दबाने का मामला है, ताकि डीएलएफ के आईपीओ के समय शेयर जारी करने के दौरान निवेशकों को धोखा दिया जा सके और उन्हें गुमराह किया जा सके.’ आदेश में कहा गया है, ‘इस मामले में जो उल्लंघन दिखे हैं वे गंभीर हैं और उनका प्रतिभूति बाजार की सुरक्षा व सच्चाई पर बड़ा प्रभाव पड़ा.’ ‘मेरे विचार में इस मामले में जो गंभीर उल्लंघन हुए हैं ऐसे में बाजार के प्रति निष्ठा की रक्षा के लिए प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है'.
सेबी ने जिन कार्यकारियों पर रोक लगाई है उनमें केपी सिंह, उनके के पुत्र राजीव सिंह (उपाध्यक्ष) और पुत्री पिया सिंह (पूर्णकालिक निदेशक) कंपनी के प्रबंध निदेशक टीसी गोयल, कामेश्वर स्वरूप और रमेश संका शामिल हैं.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना आधिकारिक तौर पर वर्ष 1988 में भारत सरकार द्वारा की गई और भारतीय संसद द्वारा पारित सेबी अधिनियम, 1992 के तहत 12 अप्रैल 1992 को इसे वैधानिक अधिकार दिया गया था. सेबी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है.
सेबी भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है. सेबी के अस्तित्व में आने से पहले पूंजी निर्गम नियंत्रक नियामक प्राधिकरण था, जिसे पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के अंतर्गत अधिकार प्राप्त थे.
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