वर्ष 2013 में भारत के विलय और अधिग्रहण (एम और ए) में 11.5% की गिरावट आई. थॉमसन रायटर द्वारा संकलित आंकड़ों की जानकारी 3 जनवरी 2014 को दी गई.
थॉमसन रायटर द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 में सौदों की संख्या 12.6% घट कर 1107 से 967 रह गई. वर्ष 2013 में एम और ए 11.5% (31.5 बिलियन डॉलर) की गिरावट वर्ष 2009 के बाद सबसे कम थी जब यह 21.5 बिलियन डॉलर रह गई थी. यह गिरावट अर्थव्यवस्था में सामान्य कमजोरी को दिखाता है.
वर्ष 2013 के चौथी तिमाही के दौरान कुल एम एंड ए 7.1% बिलियन डॉलर था जो 2013 के तीसरी तिमाही से 28.5% अधिक थी. हालांकि, वर्ष–दर–वर्ष के आधार पर यदि तुलना करें तो वर्ष 2012 के चौथी तिमाही की तुलना में वर्ष 2013 के चौथी तिमाही में एम एंड ए सौदे में 29.8% गिरावट दर्ज की गई.
इस बीच, आर्थिक मंदी ने घरेलू एम एंड ए को खासा प्रभावित किया और वर्ष 2013 में जो 69% की गिरावट के साथ 5.2 बिलियन डॉलर पर आ गया था. यह 2004 के बाद सबसे कम था जब घरेलू एम एंड ए 2 बिलियन डॉलर रह गया था. मटेरियल सेक्टर पर चल रही बड़े पैमाने पर घरेलू गतिविधियां 1.5 मिलियन डॉलर की थीं. यह कुल घरेलू एम एंड ए का 29.4% थी लेकिन यह 2012 की तुलना में 75.4% कम था.
घरेलू कंपनियों से जुड़े पूरे एम एंड ए सौदा 29 बिलियन डॉलर था जो वर्ष 2012 के 19.4 बिलियन डॉलर की तुलना में 49.5% अधिक था.
एम एंड ए क्षेत्र में ऊर्जा और बिजली क्षेत्र 21.1% बाजार शेयर या 6.7 बिलियन डॉलर के साथ सबसे उपर है, जिसमें 2012 की तुलना में 173.3% का जबरदस्त उछाल देखा गया. दूसरा स्थान हेल्थकेयर सेक्टर का है जिसने 15.8% के बाजार शेयर के साथ 5 बिलियन डॉलर का सौदा किया. इसमें 2012 के मुकाबले 24.5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
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