विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के जरिए महिलाओं के विकास के लिये संस्थागत श्रेणी का वर्ष 2012 का राष्ट्रीय पुरस्कार हैदराबाद के डंगोरिया चेरिटेबल ट्रस्ट और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के जरिए महिलाओं के विकास के लिये संस्थागत श्रेणी का वर्ष 2011 का राष्ट्रीय पुरस्कार चेन्नई के एमएम स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन को दिया गया. यह पुरस्कार केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में 8 मार्च 2013 को प्रदान किया. पुरस्कार स्वरूप व्यक्तिगत रूप में 1 लाख रूपए और संस्थागत रूप में 10 लाख रूपए और प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है.
प्रौद्योगिकियों, उत्पादों, प्रक्रियाओं और विकास मॉडलों में कृषि और गैर कृषि क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं की समस्याओं को सुलझाने की अपार क्षमता है. जरूरत इस बात की है कि पोषण क्रांति का सूत्रपात किया जाए, ताकि लोगों को पौष्टिक और संतुलित भोजन मिल सके. भारत उन देशों में से है, जहां बच्चों में कुपोषण सबसे ज्यादा मामले-40 से 50 प्रतिशत मामले सामने आते हैं. वयस्कों में भी कुपोषण के 30 प्रतिशत से ज्यादा मामले यहां देखने को मिलते हैं. आयरन, आयोडीन, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स जैसे माइक्रोन्यूट्रियेंट्स की कमी सामान्य बात है. 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे और महिलाएं आयरन की कमी एनीमिया से पीडि़त हैं.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग विज्ञान में लैंगिक समानता लाने के लक्ष्य के साथ कई तरह की पहल कर रहा है और दिशा कार्यक्रम को लागू कर रहा है. भारत एक परंपरागत देश है, पर समय के साथ महिलाओं ने एक महत्त्वपूर्ण मानव संसाधन के रूप में परंपरागत सोच पर काबू पाया है और चिकित्सा तथा विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है.
विदित हो कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के जरिए महिलाओं के विकास के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2000 में की गई थी और इसका उद्देश्य उन व्यक्तियों और संस्थानों के योगदान को मान्यता देना था, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के माध्यम से महिलाओं के विकास के लिए बुनियादी स्तर पर काम किया. यह पुरस्कार परिवर्ष परदान किया जाता है.
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