वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने 6 जून 2013 को मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई सम्बंधित स्पष्टीकरण जारी किए. इसके तहत निवेशकों को कुल निवेश का न्यूनतम 50 फीसदी रिटेल स्टोर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने एवं बेची जाने वाली वस्तुओं का न्यूनतम 30 प्रतिशत सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों (एसएमई) से खरीदने होंगे.
विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि निवेश करने वाली इकाईयां भारतीय रिटेल कंपनियों व उनके सप्लाई चेन आदि का अधिग्रहण नहीं कर सकती हैं. इसका अर्थ है कि निवेशक इकाईयों को रिटेल स्टोरों के लिए आधारभूत संरचनाओं के विकास में निवेश के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला के विकास में भी निवेश करना होगा.
एसएमई से वस्तुओं की खरीद के बारे में डीआईपीपी ने स्पष्ट किया कि निर्देशित न्यूनतम 30 फीसदी की खरीददारी एसएमई से हुई तभी मानी जाएगी जबकि निवेशक कंपनी खरीदी गई वस्तुओं को अपने खोले जाने वाले रिटेल स्टोरों पर नहीं रखती.
साथ ही, जिन इकाईयों से स्टोरों पर बेची जाने वाली वस्तुओं की खरीद करनी है उनके प्लांट एवं मशीनरी में 10 लाख रूपये से अधिक का निवेश नहीं होना चाहिए, जो कि एसएमई अधिनियम के अनुसार है.
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