भारत के साइबर सुरक्षा तंत्र को सुरक्षित और अभेद्य बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति को 8 मई 2013 को मंजूरी दी. सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) द्वारा इस नीति को मंजूरी दी गई, जिसमें साइबर सुरक्षा ढांचे को विकसित करने के संबंध में भारत की घरेलू क्षमताओं को बढ़ाने पर जोर दिया गया है.
इस नीति के दायरे में आईसीटी इस्तेमाल करने वाले सारे उपभोक्ता, छोटे और घर पर इस्तेमाल करने वाले लोग, मध्यम और बड़े उद्योग और सरकार तथा गैर सरकारी प्रतिष्ठान को शामिल किया गया है. इस नीति का उद्देश्य एक साइबर सुरक्षा ढांचा बनाना है जिसके द्वारा लंबे समय तक इस तरह के सभी मुद्दों को देखा जाना है. देश के साइबर क्षेत्र की सुरक्षा को बढ़ाने हेतु इस ढांचे के तहत विशेष कदम और कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं.
इसका प्रभार नेशनल इन्फॉरमेशन ब्यूरो (एनआईबी) के पास होना है और इसके अधीन एनआईएस, गृह मंत्रालय, डीओडी, डीआईडी, एनडीएमआर और डीआरडीओ जैसी संस्थाओं द्वारा काम किया जाना है. इस पर 5 हजार करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है. डीआरडीओ द्वारा ऐसा उपकरण तैयार किए जाने हैं जिनके द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सामान की जांच कर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी है.
इसके अलावा डीआरडीओ द्वारा मोबाइल और इंटरनेट के चिप और डाटा कार्ड का उत्पादन भी किया जाना है, जिसका यूनिक आईडेंटिफिकेशन जरूरी होना है. साथ ही सरकार द्वारा हर उपकरण की आईएमईआई नंबर का भारत में दिए कोड से मिलान किया जाना है. डीआरडीओ के उपकरण से किसी भी वेबसाइट और उसकी बेसिक संस्था पर जब चाहे रोक लगाई जा सकेगी. इससे पोर्न साइट पर भी रोक लगाई जा सकेगी.
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