सोमालिया तट पर 2 अक्टूबर 2015 को समुद्री डकैती पर संपर्क समूह (सीजीपीसीएस) ने हिंद महासागर में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम वाले क्षेत्र (एचआरए) को पुनर्विन्यास किया.
पुनर्विन्यास के अनुसार, एचआरए की पूर्वी सीमा को जून 2010 से चले आ रहे 78 डिग्री पूर्व से 65 डिग्री पूर्व कर दिया गया है.
इस संबंध में फैसला सीजीपीसीएस के यूरोपीय संघ के अध्यक्ष ने किया और यह 1 दिसंबर 2015 से प्रभावी हो जाएगा.
सीमा को कम करने का फैसला भारत के पश्चिमी तट पर समुद्री डकैती से लड़ने की दिशा में हुई प्रगति के मद्देनजर किया गया. वर्ष 2012 से एचआरए में अब तक एक भी समुद्री डकैती की घटना नहीं हुई है.
समुद्री डकैती एचआरए क्या है?
उच्च जोखिम क्षेत्र (एचआरए) वह निर्देशिष्ट क्षेत्र है जहां समुद्री डकैती का सबसे अधिक जोखिम होता है और जहां शिपिंग और नाविकों की रक्षा के लिए आत्म–सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं.
एचआरए के तौर पर किसी क्षेत्र को घोषित करने के बाद उस इलाके से गुजरने वाले सभी जहाजों को सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाएं (बीएमपी) जैसे पोतों में सैन्य कर्मियों की तैनाती, बीमा, निर्दिष्ट समुद्री मार्ग द्वारा यात्रा आदि, को अपनाना चाहिए.
इस तंत्र का उपयोग करने के लिए, लाल सागर और हिंद महासागर में साल 2010 में जीपीसीसीएस ने एक समुद्री डकैती उच्च जोखिम क्षेत्र (एचआरए) घोषित किया था ताकि सोमालिया के तट पर समुद्री डकैती का मुकाबला किया जा सके.
हालांकि, इसकी शुरुआत के बाद से एचआरए विवादों में रहा है क्योंकि इसने जहाजों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया औऱ नतीजतन शिपिंग उद्योग पर लागत का बोझ बढ़ गया है.
अधिक लागत और सुरक्षा चिंताओं की समस्या भारत के लिए भी चिंता का विषय हो गया है जिसके कारण भारत ने एचआरए सीमाओं के पुनर्विन्यास के लिए जोर दिया.
भारत के लिए पुनर्विन्यास का महत्व
पूर्वी सीमा को 78 डिग्री पूर्व किए जाने के बाद से भारत का शिपिंग उद्योग उच्च लागत की परेशानी का सामना कर रहा था, इसलिए यह पुनर्विन्यास भारत के लिए बहुत मायने रखता है.
इसके अलावा एचआरए में विस्तार ने तटीय सुरक्षा माहौल पर भी दबाव बढ़ा दिया है क्योंकि अरब सागर से गुजरने वाले पोतों को भारत के पश्चिमी तट के प्रमुख जलक्षेत्र से गुजरने के लिए मजबूर किया गया था.
इन पोतों पर सैन्य कर्मचारी होते थे जिनकी वजह से कभी– कभी सुरक्षा दुर्घटनाएं हो जाती थी. जैसे इतावली व्यापारी जहाज एनरिका लेक्सी की घटना जिसमें दो भारतीय मछुआरों की हत्या कर दी गई थी.
सीजीपीसीएस के बारे में
यह देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाग का गठबंधन है जो मिलकर समुद्री डकैती के खिलाफ समन्वित तरीके से लड़ना चाहते हैं.
इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1851 (2008) के तहत हुई. बाद में इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1918 (2010) से बदल दिया गया.
यह संपर्क समूह मॉडल के आधार पर काम करता है जो सोमालिया की समुद्री डकैती को खत्म करने के लिए विभिन्न देशों और संगठनों के बीच चर्चा एवं समन्वय कार्यों की सुविधाएं प्रदान करता.
अब तक भारत समेत 60 से अधिक देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन इस फोरम का हिस्सा बन चुके हैं.
साल 2014 और साल 2015 के लिए सीजीपीसीएस का अध्यक्ष यूरोपी संघ है.
साल 2016 में यूरोपीय संघ सेशेल्स गणराज्य को इसकी अध्यक्षता सौंप देगा.
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