क्या आप जानते हैं कि 1911 में दिल्ली के राजधानी बनने से पहले कोलकाता भारत के प्रशासन का केंद्र था? कोलकाता से दिल्ली की ओर स्थानांतरण केवल स्थान परिवर्तन नहीं था - यह एक साहसिक राजनीतिक कदम और दूरदर्शी वास्तुशिल्प परिवर्तन था, जिसने भारत के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की।
दिल्ली का राजधानी के रूप में उदय एक रणनीति से प्रेरित था, जिसमें औपनिवेशिक महत्वाकांक्षा को सांस्कृतिक पुनर्रचना के साथ मिलाया गया था।
राजधानी स्थानांतरित करने का निर्णय
किंग जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर 1911 के दिल्ली दरबार के दौरान राजधानी को कलकत्ता (तब कोलकाता के नाम से जाना जाता था) से दिल्ली स्थानांतरित करने के अपने निर्णय की घोषणा की। अन्य कारकों ने भी भूमिका निभाई, जैसे कि दिल्ली का इतिहास में विभिन्न साम्राज्यों के लिए एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र होना, इसका स्थान, तथा ब्रिटिश प्रशासन की अधिक केन्द्रीय, भौगोलिक और राजनीतिक रूप से स्थित राजधानी का होना इसमें शामिल रहा।
राजधानी बनाने के लिए प्रभावित करने वाले कारक
इस परिवर्तन से पहले कोलकाता 19वीं सदी के प्रारंभ से ही ब्रिटिश भारत की राजधानी थी। हालांकि, ब्रिटिश अधिकारियों को एहसास हुआ कि दिल्ली एक रणनीतिक स्थान था, जो ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला के करीब था और पूरे वर्ष शासन के लिए आसानी से सुलभ था। इसके अलावा, हिंदू और मुस्लिम गौरव से जुड़े दिल्ली के गहरे इतिहास ने ब्रिटिशों का ध्यान आकर्षित किया और इसे उनके नए शाही शहर की राजधानी बनाया।
वास्तुकला दृष्टि
दो सबसे प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकारों, सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर को नई दिल्ली के डिजाइन और निर्माण का काम सौंपा गया था। उन्होंने एक ऐसे शहर की योजना बनाई, जो ब्रिटिश साम्राज्यवादी शक्ति की भव्यता को प्रतिबिंबित करे, लेकिन एक आधुनिक प्रशासनिक केंद्र की आवश्यकताओं को भी पूरा करे। प्रथम विश्व युद्ध के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ और इस विशाल परियोजना के लिए चार मिलियन ब्रिटिश पाउंड की पर्याप्त राशि आवंटित की गई।
नई दिल्ली का उद्घाटन
अंततः 13 फरवरी 1931 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने नई दिल्ली का राजधानी के रूप में उद्घाटन किया। नई राजधानी का निर्माण भारतीय और यूरोपीय वास्तुशिल्प डिजाइनों की छत्रछाया में शानदार सरकारी भवनों और हरे-भरे उद्यानों के मिश्रण के साथ चौड़े बुलेवार्डों पर किया गया है। इसलिए, यह महज एक निर्मित स्थान का उद्घाटन मात्र नहीं था; यह भारतीय शासन में एक नए युग के आगमन का सूचक था।
नई दिल्ली
राजधानी के रूप में अपनी स्थापना के बाद से नई दिल्ली एक जीवंत महानगर में तब्दील हो गई है, जिसे भारत का राजनीतिक केंद्र माना जाता है। इस शहर में देश के कुछ महत्त्वपूर्ण सरकारी संस्थान जैसे संसद भवन, राष्ट्रपति का निवास, राष्ट्रपति भवन और कई मंत्रालय स्थित हैं। आज नई दिल्ली भारत के जटिल इतिहास तथा स्वतंत्रता और स्वशासन की दिशा में इसकी यात्रा का प्रमाण है।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation