सीमा सुरक्षा बल में चयनित देश की बेटी जब गाँव लौटी तो गाँव वालों ने ढोल-नगाड़ों से किया स्वागत और निकाला जुलुस

गरीब परिवार की बेटी संध्या ने मजदूरी करके पढ़ाई की और बीएसएफ में चयनित हो देश के हरेक युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का श्रोत बनीं. आइये एक नजर डालते हैं संध्या के सफलता के सफ़र पर.

Nov 29, 2022, 15:58 IST
BSF Sandhya
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असंभव को भी संभव बना देने की मिसाल मध्य प्रदेश के गांव पिपल्या रसोड़ा में रहने वाली बेटी संध्या ने कायम किया है.  बेहद ही गरीब परिवार की बेटी संध्या ने मज़दूरी करके पढ़ाई की और बीएसएफ में चयनित हो देश के हरेक युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनीं.

जब वे ट्रेनिंग पूरी करके अपने गाँव  वर्दी में लौटी तो संध्या के परिवार के साथ-साथ पूरे गाँव वालों की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा. देश की बेटी संध्या का स्वागत ढोल-नगाड़ों से किया गया. गाँव वालों के साथ-साथ संध्या भी ढोल के थाप पर थिरकते नज़र आयी.

इसके साथ ही बीएसएफ संध्या को घोड़े पर बिठाकर गाँव वालों ने जुलुस निकाला. जुलुस के साथ-साथ पूरे गाँव वाले ढोल-नगाड़ों की आसमान को भेदती ध्वनी के साथ-साथ थिरकते नजर आये. ऐसा खुशियों का वातावरण था मानों जुलुस के साथ-साथ चलते लोगों के पैरों से उड़ती धूल भी संध्या के ललाट पर तिलक कर रही हो.

BSF में हुआ संध्या का चयन 

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के पिपल्या रसोड़ा गांव में रहने वाले मज़दूर देवचंद भिलाला की बेटी संध्या भिलाला का अप्रैल 2021 में सीमा सुरक्षा बल में चयन हुआ था. इसके बाद संध्या राजस्थान ट्रेनिंग के लिए चली गई थी.  ट्रेनिंग खत्म कर 8 महीने बाद वह वर्दी में वापस अपने गांव लौटी. 

संध्या का जीवन 

अगर संध्या की पढ़ाई के जीवन पर एक नजर डालें तो 12वीं पास होने के बाद उन्होंने एक निजी स्कूल में बतौर शिक्षिका पढ़ाना शुरू किया. इसके साथ-साथ संध्या दूसरों के खेतों में मज़दूरी का काम भी करतीं थी  लेकिन उनका दिल इसमें नहीं रमा. उनके गांव में दो लोग फौज में हैं, उन्हें देख और उसकी बातें सुन उन्हें भी सेना में भर्ती होने का जुनून चढ़ गया और वे इसके लिए अपने आप को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करने लगी.

जमकर की संध्या ने तैयारी 

संध्या स्कूल में पढ़ाने जाती थी लेकिन अपनी परीक्षा के लिए पढ़ाई के साथ सुबह उठकर संध्या ने दौड़ लगाना भी शुरू कर दिया. गाँव के लोगों को सुबह पांच बजे वह गली में दौड़ती नजर आती थी. 

सात साल बाद मिली संध्या को सफलता 

दो बार फौज में विफल होने के बाद भी संध्या के देश सेवा के जूनून ने उन्हें हार नहीं मानने दी और संध्या निरंतर प्रयास करती रहीं. आखिरकार सात साल के अथक प्रयास के बाद बीएसएफ में संध्या का चयन हुआ.

Prashant Kumar is a content writer with 5+ years of experience in education and career domains. He has qualified UGC NET in History and was previously a faculty for IAS/PCS prep. He has earlier worked with Doordarshan & HT Media. At jagranjosh.com, Prashant creates real-time content for Govt Job Notifications and can be reached at prashant.kumar@jagrannewmedia.com
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