इंडियन स्टूडेंट्स के लिए रूरल मैनेजमेंट में करियर्स

भारत में रूरल मैनेजमेंट एक विशेष स्पेशलाइजेशन है जोकि भारतीय ग्रामीण परिवेश में सुधार लाने के लिए इंडियन स्टूडेंट्स को आवश्यक योजनाओं, कार्य नीतियों को बनाने और कार्यान्वित करने में माहिर बनाती है.

Anjali Thakur
Mar 18, 2021, 13:05 IST
Rural Management
Rural Management

भारत में रूरल मैनेजमेंट एक विशेष स्पेशलाइजेशन है जोकि भारतीय ग्रामीण परिवेश में सुधार लाने के लिए इंडियन स्टूडेंट्स को आवश्यक योजनाओं, कार्य नीतियों को बनाने और कार्यान्वित करने में माहिर बनाती है.

रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज के लिए टॉप इंडियन इंस्टीट्यूट्स

रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज की मांग दिनोदिन बढ़ती जा रही है.इसकी मुख्य वजह अधिकांश कंपनियों द्वारा इस क्षेत्र में अधिकतम ग्रोथ तथा प्रॉफिट की संभावना का आकलन करना है. रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज के अंतर्गत अभ्यर्थियों के धैर्य और दृढ़ संकल्प शक्ति का परीक्षण होता है.अतः यदि आप इस कोर्स के जरिये अपना करियर बनाने का विकल्प चुनते हैं,तो उत्कृष्ट ज्ञान देने वाले कुछ सर्वोत्तम इंस्टीट्यूट की सूची आपकी सुविधा के लिए नीचे दी गयी है. रूरल मैनेजमेंट कोर्स करने के लिए आप इन कॉलेजों में अप्लाई कर अपने सपने को साकार कर सकते हैं -

क्रम संख्या

कॉलेज/इंस्टीट्यूट

लोकेशन

1

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट

अहमदाबाद

2

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट

लखनऊ

3

इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद

गुजरात

4

जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट

भुवनेश्वर

5

जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस

झारखण्ड

6

चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर एंड टेक्नोलॉजी

कानपूर

7

जेवियर यूनिवर्सिटी

भुवनेश्वर

8

सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस

पुणे

9

केरल एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी

केरल

10

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रिकल्चरल मार्केटिंग

जयपुर

वेतन संभावनाएं

रूरल मैनेजमेंट के क्षेत्र में उम्मीदवारों के लिए वेतन संभावनाएं बहुत ही उज्ज्वल हैं:

डेजिगनेशन

सैलरी  (आईएनआरलाख में )

एरिया एक्सक्यूटिव

4 से 5 लाख

मार्केटिंग एंड सेल्स मैनेजर

4 से 5 लाख

रूरल मैनेजर

1 से 3 लाख

सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर

4 से 5 लाख

रिसर्च हेड

7 से 8 लाख

सोर्स : कॉलेजदुनिया.कॉम

भारत में रूरल मैनेजमेंट के प्रमुख स्पेशलाइजेशन्स

रूरल मैनेजमेंट के अंतर्गत निम्नांकित सब स्पेशलाईजेशन की सुविधा होती है -

रूरल प्लानिंग एंड डेवेलपमेंट : इस विषय के अध्ययन से ग्रामीण परिदृश्य से संबंधित ज्ञान और कौशल विकसित होता है. इसके लिए क्षेत्र विशेष के समग्र विकास के लिए उपलब्ध संसाधनों के  सही उपयोग की कला भी इसके अंतर्गत सीखाया जाता है.

नेचुरल रिसोर्स डेवेलपमेंट एंड मैनेजमेंट : जैसा कि नाम से पता चलता है, यह विषय प्राकृतिक संसाधनों के विकास से जुड़े विषयों से संबंधित है और कृषि क्षेत्र की समृद्धि के लिए उन्हें कैसे मैनेज करना है ? इसका सम्पूर्ण ज्ञान इसके अन्दर प्रदान किया जाता है.

रूरल मार्केटिंग एंड मैनेजमेंट : मार्केटिंग रूरल डेवेलपमेंट का एक अभिन्न अंग है. इस क्षेत्र में अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की मार्केटिंग के लिए विक्रेता रणनीतियां तैयार करते हैं. इन सभी चीजों का वर्णन तथा सही मार्केटिंग की टेक्नीक इस विषय के अंतर्गत पढ़ाया जाता है.

रूरल कम्युनिटी फैसलिटिज एंड सर्विसेज : ग्रामीण परिदृश्य को विकसित करने के लिए, स्वच्छता, जल निकासी इत्यादि जैसी बुनियादी आधारभूत सुविधाओं के विकास पर ध्यान देना बहुत जरुरी होता है और इन्ही सभी विषयों की व्यापक जानकारी इस विषय में प्रदान की जाती है.

सोशल सिक्यूरिटी प्रॉब्लाम्स, पॉलिसीज एंड प्रोग्राम  : कानून और व्यवस्था हमारी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बहुत जरुरी है.इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के लिए भारतीय कानून और उसके प्रभाव का विस्तृत अध्ययन कराया जाता है.

भारत में रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज की अवधि

रूरल मैनेजमेंट के क्षेत्र में 4 प्रकार के कोर्सेज उपलब्ध हैं. इन कोर्सेज की अवधि मुख्यतः कोर्सेज के लेवल पर निर्भर करती है. कुछ कोर्सेज का उल्लेख नीचे किया गया है.

डिप्लोमा

10 + 2 करने के बाद रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है. इस कोर्स की अवधि आम तौर पर 6 महीने से 1 वर्ष तक की होती है.

अंडर ग्रेजुएट

रूरल मैनेजमेंट में अंडर ग्रेजुएट कोर्स को रूरल मैनेजमेंट में बीए के नाम से जाना जाता है.आम तौर पर  यह कोर्स 3 साल की अवधि का होता है. इसमें एडमिशन के लिए 10+2 पास होना जरुरी होता है.

पोस्ट ग्रेजुएट

रूरल मैनेजमेंट के क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री 2 साल की अवधि में प्राप्त की जाती. इस कोर्स को पूरा करने पर रूरल मैनेजमेंट में पीडीजीएम या रूरल मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री प्रदान की जाती है.

डॉक्टोरल  कोर्स

डॉक्टोरल कोर्स को सामन्यतः पीएचडी  की डिग्री के रूप में जाना जाता है.किसी भी क्षेत्र में पीएचडी की डिग्री को सबसे हाइएस्ट डिग्री के रूप में जाना जाता है. इसे आमतौर पर 3 से 4 साल में पूरा किया जाता है.

भारत में रूरल मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए टॉप रिक्रूटिंग कंपनीज़

अपने करियर में हर किसी की चाहत होती है कि वे देश तथा विदेश के टॉप ब्रांड वाली कम्पनियों में काम करे.नीचे रूरल मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स जॉब देने वाली टॉप कम्पनियों का विवरण दिया गया है. इनमें से किसी में भी रूरल मैनेजमेंट के छात्र जॉब के लिए आवेदन कर अपने सपने को साकार कर सकते हैं .

  • नेशनल डेयरी डेवेलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी)
  • बिहार लाइवलीहूड प्रोमोशन सोसाइटी - जीविका
  • बीएआईएफ डेवेलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन
  • वेदांत सीएसआर
  • आईटीसी लिमिटेड एग्री बिजनेस डिवीजन
  • गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड
  • गुजरात कोपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन
  • कैरा जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड (एएमयूएल)
  • मुथुटफिनकॉर्प
  • इंडसइंड बैंक लिमिटेड
  • मैक्रो फूड्स
  • मदर डेयरी फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स  (पी) लिमिटेड
  • एडीएम एग्रो इंडस्ट्रीज
  • सुपरमार्केट ग्रॉसरी सप्लाईड प्राइवेट लिमिटेड (बिगबास्केट.कॉम )
  • कारगिल

रूरल मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए प्रमुख करियर ऑप्शन्स

किसी भी कोर्स को पूरा करने के बाद हर किसी की इच्छा होती है एक अच्छी जॉब करने की तथा एक अच्छा नौकरी प्रोफाइल के साथ अपने करियर की शुरुआत करने की. नौकरी प्रोफाइल का सम्बन्ध आपके डेजिगनेशन तथा लेवल की ओर इंगित करता है. नीचे रूरल मैनेजमेंट के फील्ड में दिए जाने वाले कुछ नौकरी प्रोफाइल का विवरण दिया गया है -

  • सेल्स/ बिजनेस डेवेलपमेंट मैनेजर
  • रूरल डेवेलपमेंट ऑफिसर
  • परचेज वेंडर डेवेलपमेंट ऑफिसर
  • बिजनेस डेवेलपमेंट एक्सक्यूटिव
  • सेल्स ऑफिसर
  • नेशनल सेल्स डेवेलपमेंट मैनेजर

इंडियन स्टूडेंट्स के लिए रूरल मैनेजमेंट कोर्स का महत्त्व

हमारे देश भारत में 6.05 लाख से अधिक गांव हैं जिनके लगातार विकास के लिए भारत सरकार, राज्य सरकारें और स्थानीय निकाय काम कर रहे हैं. इसलिए, यंग प्रोफेशनल्स के लिए इस फील्ड में करियर ग्रोथ की संभावना सर्वाधिक है. हमारे देश में अभी ग्रामीण क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर या अन्य सभी फैसलिटीज पूर्णतः विकसित नहीं है. इन क्षेत्रो को शहर के समान बनाने और मेनस्ट्रीम में लाने के लिए बहुत अधिक निवेश और मैनेजमेंट कार्यों की आवश्यकता है. इसलिए, भारत सरकार इन क्षेत्रों में निवेश को बहुत अधिक बढ़ावा दे रही है. कई मल्टीनेशनल कम्पनियां, सरकारी संगठन तथा भारतीय कंपनियां इस फील्ड में अत्यधिक लाभ की संभावना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अपना सहयोग दे रही हैं. इसलिए, इस क्षेत्र में इंडियन स्टूडेंट्स और यंग प्रोफेशनल्स के लिए करियर के विकास की व्यापक संभावनाएं हैं.

रूरल मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स का जॉब प्रोफाइल

रूरल मैनेजमेंट का क्षेत्र कुछ ऐसे स्किल्ड प्रोफेशनल्स की मांग करता है जो ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के विकास के लिए व्यवस्थित योजना विकसित करने के इच्छुक हों.

रूरल मैनेजमेंट डोमेन में एक विशेषज्ञ के रूप में स्टूडेंट्स को यहाँ चल रहे कंपनी के प्रोजेक्ट में इस तरह से काम करना होगा कि कंपनी को प्रॉफिट होने के साथ साथ ग्रामीण इलाके की स्थिति में भी पर्याप्त और स्थायी विकास हो. ग्रामीण लोगों के रहन सहन में सुधार का अतिरिक्त लाभ सकल घरेलू उत्पाद में सुधार होता है.

रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज में एडमिशन के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

प्रवेश प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से समझने के बाद रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज में प्रवेश की तलाश करना बहुत ही आसान हो सकता है. इस फील्ड में एडमिशन लेने के लिए आपको मुख्य रूप से एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया तथा एंट्रेंस एग्जाम की पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है ताकि आप आगे चलकर आप अपने मनपसंद इंस्टीट्यूट या कॉलेज में एडमिशन ले पाएं. नीचे एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया तथा एंट्रेंस एग्जाम के विषय में जरुरी जानकारी प्रदान की गयी है –

एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया- किसी भी एग्जाम को पास करने तथा इंस्टिट्यूट में एडमिशन लेने की पहली शर्त होती है उसकी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करना. किसी भी कोर्स में प्रतिभाशली अभ्यर्थियों के चयन के लिए यह मूलतः स्क्रीनिंग प्रक्रिया हैं. आइये कुछ कोर्सेज में एडमिशन के लिए आवश्यक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पर एक नजर डालते हैं.

डिप्लोमा

रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा एक फाउंडेशन कोर्स है. 10 + 2 कम से कम 50 प्रतिशत एग्रीगेट मार्क्स से पास करने पर इस कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है.

अंडर ग्रेजुएट

किसी भी स्ट्रीम में 10 + 2 कम से कम 50 प्रतिशत एग्रीगेट मार्क्स से पास करने के बाद आप रूरल मैनेजमेंट में बीए कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं.

पोस्टग्रजुएट

किसी मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट / कॉलेज से ग्रेजुएशन लेवल पर न्यूनतम 50% एग्रीगेट प्रतिशत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के लिए आवेदन कर सकते हैं.

डॉक्टोरल कोर्स

रूरल मैनेजमेंट में पीएचडी के लिए, उम्मीदवार के पास एआईसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट से रूरल मैनेजमेंट में पोस्टग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए. इसके बाद अभ्यर्थी को एंट्रेंस एग्जाम भी देना होगा.

भारत में रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज के लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम

सभी प्रोफेशनल कोर्सेज में एडमिशन एंट्रेंस एग्जाम में आपके द्वारा पाए गए मार्क्स पर ही आधारित होता है. इसलिए आपको सभी एंट्रेंस एग्जाम की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए ताकि आप सही समय पर तैयारी शुरू कर सकें और परीक्षा में हाई कट ऑफ ला सकें  

डिप्लोमा

राज्य बोर्ड रूरल मैनेजमेंट के डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करता है. इच्छुक उम्मीदवार कॉमन एंट्रेंस फॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

अंडर ग्रेजुएट

अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए उन यूनिवर्सिटीज में जहाँ रूरल मैनेजमेंट कोर्स कराये जाते हैं,आवेदन करें.

पोस्ट ग्रेजुएट

पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम

  • कैट
  • मैट
  • जैट
  • आईआरएमए
  • एनएमआईएमएस
  • स्नैप
  • इक्फाई
  • सीमैट
  • एमएच-सीईटी
  • एमएटी

डॉक्टोरल कोर्सेज

जो लोग प्रासंगिक स्ट्रीम में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री उत्तीर्ण कर चुके हैं वे संबंधित यूनिवर्सिटी जो पीएचडी प्रोग्राम आयोजित करते हैं में पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं.

भारत में रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज में करियर स्कोप

यह बात तो सबको पता है कि भारत की आबादी की दो तिहाई जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में बसती है और देश के आर्थिक विकास के लिए समाज किस वर्ग का उत्थान अति आवश्यक है.इसलिए युवाओं द्वारा रूरल मैनेजमेंट कोर्स का चयन करना उनके करियर तथा देश दोनों के विकास में समान रूप से उपयोगी है. बहुत काम लोग ग्रामीण भारत के उत्थान में योगदान करने में रुचि रखते हैं.

बात चाहे वेतन की संभावनाओं की हो  या नौकरी प्रोफाइल या रिक्रूटर्स की , रूरल मैनेजमेंट डोमेन में ऐसे प्रोफेशनल्स की सख्त ज़रूरत है जो बिना किसी उम्मीद के अधिकतम योगदान देने की इच्छा रखते हैं. आइये इस क्षेत्र की करियर संभावनाओं पर एक दृष्टि डालते हैं -

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