अफगानिस्तान ने ईरान के चाबहार बंदरगाह से भारत को सामान निर्यात करना शुरू कर दिया है. काबुल से मेवा, टैक्सटाइल्स, कार्पेट और खनिज मिनरल प्रॉडक्ट्स 23 ट्रकों में भरकर चाबहार पोर्ट के लिए रवाना किया. यह खेप वहां से जहाज के जरिये मुंबई पहुंचेगी.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने निर्यात के लिए नये मार्ग की शुरुआत करते हुए कहा कि व्यापार घाटे को कम करने के लिए धीरे-धीरे निर्यात में सुधार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘चाबहार पोर्ट भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच स्वस्थ सहयोग का परिणाम है और यह आर्थिक वृद्धि सुनिश्चत करेगा.’
अफगानिस्तान का चाबाहार से निर्यात
• इस खेप में 570 टन ड्राई फ्रूट्स, टैक्सटाइल्स, कार्पेट और मिनरल उत्पाद शामिल हैं जो जहाज के ज़रिये मुंबई पहुँचेगी.
• अफगानिस्तान द्वारा चाबहार से किया गया निर्यात इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे भारत, ईरान तथा अफगानिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन समझौता पूरी तरह से क्रियान्वित हो गया है.
• मई 2016 में इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तेहरान में हस्ताक्षर किये थे.
• इससे पूर्व भारत ने भी चाबहार पोर्ट के ज़रिये अफगानिस्तान को 1.1 मिलियन टन गेहूँ और 2000 टन मसूर की दाल निर्यात किया था.
• दक्षिण एशिया में चीन और पाकिस्तान के रिश्तों के साथ-साथ भारत के लिए अफगानिस्तान और ईरान के साथ बनाये गये संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं.
• इस रास्ते के जरिए अफगानिस्तान और भारत के बीच से पाकिस्तान की बाधा दूर हुई है.
• ईरान का चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान को आसानी से समुद्र तक पहुंच देता है और भारत ने इस रूट को विकसित करने में मदद की है, जो कि दोनों देशों को पाकिस्तान को बाइपास करते हुए व्यापार की सुविधा देता है.
भारत के लिए चाबहार का महत्त्व
• भारत और ईरान दोनों ही देशों के लिए चाबहार परियोजना का बहुत महत्व है. यह ओमान सागर में अवस्थित यह बंदरगाह प्रांत की राजधानी जाहेदान से 645 किलोमीटर दूर है और मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला एक मात्र बंदरगाह है.
• चाबहार भारत के लिये अफगानिस्तान और मध्य एशिया के द्वार खोल सकता है. यह बंदरगाह एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ जगह है. भारत वर्ष 2003 से इस बंदरगाह के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के प्रति अपनी रुचि दिखा रहा है.
• चाबहार गहरे पानी में स्थित बंदरगाह है और यह ज़मीन के साथ मुख्य भू-भाग से भी जुड़ा हुआ है, जहाँ सामान उतारने-चढ़ाने का कोई शुल्क नहीं लगता. चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान को भारत से व्यापार करने के लिये एक और रास्ता मिल जाएगा. विदित हो कि अभी तक पाकिस्तान के रास्ते भारत-अफगानिस्तान के बीच व्यापार होता है.
चाबहार के बारे में
चाबहार ईरान में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत का एक शहर है. यह एक मुक्त बन्दरगाह है और ओमान की खाड़ी के किनारे स्थित है. यह ईरान का सबसे दक्षिणी शहर है. इस नगर के अधिकांश लोग बलूच हैं और बलूची भाषा बोलते हैं. यहाँ मौसम सामान्य रहता है और हिंद महासागर से गुजरने वाले समुद्री रास्तों तक भी यहाँ से पहुँच बहुत आसान है
भारत ने मई 2015 में चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह बंदरगाह ईरान के लिए रणनीति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. इसके माध्यम से भारत के लिए समुद्री सड़क मार्ग से अफगानिस्तान पहुँचने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा और इस स्थान तक पहुँचने के लिए पाकिस्तान के रास्ते की आवश्यकता नहीं होगी.
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