भारतीय संविधान के वास्तुकार माने जाने वाले बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 132वीं जयंती आज पूरे देश में मनाई जा रही है. पूरा देश आज बीआर अंबेडकर के योगदान को याद कर रहा है.
बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर हैदराबाद के मध्य में हुसैन सागर झील के किनारे अम्बेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया. इस अवसर पर बी आर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर भी मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के साथ मौजूद थे.
बाबा साहेब अंबेडकर खासकर दलित और पिछड़ों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये थे. भारतीय संविधान के जनक कहे जाने वाले अंबेडकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.
Floral Tribute for the pioneer of social justice and architect of Indian Constitution that reflected on the idea of independent modern India, Babasaheb Ambedkar.
— Kavitha Kalvakuntla (@RaoKavitha) April 14, 2023
CM KCR garu led BRS Government unveils 125-feet tall bronze statue in Hyderabad, today #Ambedkar #JaiBheem pic.twitter.com/3N5HoxTili
125 फुट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण:
डॉ भीमराव अंबेडकर के जन्म दिवस पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव उनकी 125 फुट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया जिसे भारत में अंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा मानी जा रही है.
इस प्रतिमा की कुल ऊंचाई 175-फीट है, इसमें 50-फीट की ऊंचाई में संसद के भवन जैसा दिखने वाला उच्च गोलाकार आधार है.
राम वनजी सुतार ने किया है डिजाइन:
इस प्रतिमा को उत्तर प्रदेश के नोएडा में प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वनजी सुतार और उनके बेटे अनिल राम सुतार द्वारा डिजाइन किया गया था. राम वनजी सुतार ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा - स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सहित कई मूर्तियों को डिजाइन किया है.
इस प्रतिमा का वजन 474 टन है, इसके निर्माण में 360 टन स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है. साथ ही इसकी ढलाई के लिए 114 टन कांस्य का उपयोग किया गया था.
इस प्रतिमा का निर्माण केपीसी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने किया है. इसकी कुल लागत 146.50 करोड़ रुपये मानी जा रही है.
एक समाज सुधारक थे अंबेडकर:
बाबा साहेब भारत के एक समाज सुधारक थे, जिन्होंने भारत में उत्पीड़ित वर्गों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया था. साथ ही उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के प्रबल पक्षधर थे. उन्हें सुधारों के एक चैंपियन के रूप में जाना जाता था. वह अर्थशास्त्र, कानून और राजनीति में खासा अनुभव रखते थे.
बाबा साहेब का जीवन संघर्ष:
डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था. उनका बचपन भेदभाव, तिरस्कारपूर्ण रहा था. उनका जन्म एक महार परिवार में हुआ था, जिसे उस समय देश में सबसे निम्न जाति के रूप में देखा जाता था.
आरंभिक जीवन में उन्हें उच्च जाति के शिक्षकों और अन्य लोगों के उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ता था. उन्हें और उनके दलित दोस्तों को अन्य छात्रों के साथ कक्षा के अंदर बैठने की अनुमति नहीं थी. फिर भी उन्होंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी और चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहे.
उन्हें स्कूल में रखे मिट्टी के घड़े से पानी पीने की अनुमति तक नहीं रहती थी. कभी ऐसा भी होता था कि चपरासी के न रहने पर उन्हें पूरा दिन बिना पानी पिए गुजारना पड़ता था.
वह बंबई (अब मुंबई) के प्रतिष्ठित एलफिन्स्टन हाई स्कूल में दाखिला पाने वाले अपनी जाति के एकमात्र छात्र थे. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय देश की समाजिक दशा ठीक नहीं थी.
भारत के पहले विधि मंत्री:
डॉ भीमराव अंबेडकर भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे. साथ ही वह संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष भी थे.
संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान के अतिरिक्त उन्होंने देश में दलित और बौद्ध आंदोलनों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था और दलित और शोषित वर्गों को समाज में स्थान दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया था.
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