नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से यह पता चलता है कि, अंटार्कटिका की बर्फ की चादर वर्ष, 2060 के आस-पास एक महत्वपूर्ण बिंदु तक कम हो सकती है.
इसका मतलब यह है कि, अगर वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जन मौजूदा दर पर जारी रहता है, तो अंटार्कटिका आइस शीट (AIS) महत्वपूर्ण सीमा को पार कर जाएगी, जिससे वैश्विक समुद्री स्तर में अपरिवर्तनीय वृद्धि होगी.
अंटार्कटिका का महत्त्वपूर्ण बदलाव बिंदु (टिपिंग पॉइंट)
अंटार्कटिका की बर्फ की चादर, जिसे पृथ्वी का सबसे बड़ा बर्फ भंडार माना जाता है, कई सुरक्षात्मक बर्फ की परतों/ तहों से ढकी हुई है. ये बर्फ की परतें समुद्र तल से नीचे की ओर जमी हुई हैं जो महाद्वीप के केंद्र में अंदर की ओर ढलान वाली हैं.
इस अध्ययन में प्रयुक्त बर्फ की चादरों की भौतिक स्थिति पर आधारित कंप्यूटर मॉडल के अनुसार, यह पाया गया है कि, 02 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ग्लोबल वार्मिंग से अंटार्कटिका में, विशेष रूप से विशाल थ्वाइट्स ग्लेशियर के माध्यम से, बर्फ के नुकसान में भारी वृद्धि होगी.
थ्वाइट्स ग्लेशियर ब्रिटेन या फ्लोरिडा के किनारे के बराबर है. यह वेस्ट अंटार्कटिक आइस शीट (WAIS) का एक हिस्सा है और अमेरिका तथा ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के बीच अध्ययन का गहन केंद्र है.
वर्तमान में, दुनिया मौजूदा नीतियों और वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जन दर के साथ तापमान 02 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की राह पर है. पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने वाले देश समुद्र के बढ़ते जल स्तर को तेजी से कम करने का एक तरीका साबित हो सकते हैं.
वैज्ञानिकों को यह डर है कि, तब बर्फ के नुकसान को उलटना या कम करना संभव नहीं होगा और वर्ष, 2100 तक समुद्र के जल-स्तर में वृद्धि आज की तुलना में 10 गुना तेज होगी.
समुद्र का जल वर्ष, 2100 तक विस्फोटक स्तर तक बढ़ सकता है
• डेविड पोलार्ड, रॉबर्ट डीकोंटो और रिचर्ड एले द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से यह पता चलता है कि, अगर वर्तमान उत्सर्जन पर वर्ष, 2100 तक अंकुश नहीं लगाया गया तो समुद्र के जल स्तर में 2150 तक, यह वृद्धि प्रति वर्ष 2.3 इंच (6 सेमी) से अधिक हो सकती है.
• वर्ष, 2300 तक अगर देश पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो समुद्र-स्तर की वृद्धि आज की तुलना में 10 गुना तेज होने की उम्मीद जताई गई है.
• पेरिस समझौते को पूरा करने के लिए तीन प्रमुख तरीकों में ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से 02 डिग्री सेल्सियस के बीच रखने, तापमान को और कम करने के लिए हवा से पर्याप्त कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने और वर्ष, 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन में 50 प्रतिशत की कटौती करने की आवश्यकता है.
• मौजूदा नीतियां वर्ष, 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन में केवल 01 प्रतिशत की कटौती करने में मदद करेंगी.
मिशन 'तुरंत उत्सर्जन करें कम'
जैसेकि नवंबर में होने वाले पेरिस समझौते और जलवायु कार्य योजना पर विचार-विमर्श के लिए देश तैयार हैं, महासागर और ध्रुवीय वैज्ञानिकों के पास ध्यान देने योग्य तीन महत्वपूर्ण संदेश हैं:
• डिग्री का हर अंश मायने रखता है.
• ग्लोबल वार्मिंग 02 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर समुद्र तट पानी में डूबे रह सकते हैं. तकनीकी सुधार इन सभी विनाशकारी प्रभावों को उलटने या कम करने में सक्षम नहीं होंगे.
• नीतियों को एक लंबा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए क्योंकि इनसे बड़े पैमाने पर अंटार्कटिका की बर्फ की चादर और दुनिया को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है.
अंटार्कटिका के बारे में और अधिक आंकड़े सामने आने पर वैज्ञानिकों का यह कहना है कि, यह स्पष्ट हो रहा है कि यह महाद्वीप मैदानी क्षेत्र के भाग्य का निर्धारण करेगा.
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