राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार: भू-विज्ञान, खनन और संबद्ध क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान हेतु साल 2018 के राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार देश के 22 वैज्ञानिकों को प्रदान किये गये हैं. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 19 सितंबर 2019 को पुरस्कार प्रदान किये.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि भू-विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले पेशेवरों तथा शैक्षणिक संस्थानों के बीच तालमेल को मजबूत बनाना समय की जरूरत है.
राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार 10 विषयों में दिये गये
राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार दस विषयों खनिज अन्वेषण, भूजल अन्वेषण, खनन प्रौद्योगिकी, खनिज लाभ, सतत खनिज विकास, बुनियादी और अनुप्रयुक्त भू-विज्ञान, भू-पर्यावरण अध्ययन तथा प्राकृतिक आपदाओं की जांच आदि में दिये गये हैं.
पुरस्कार और सम्मान
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के प्रोफेसर सैयद वजीह अहमद नकवी ने जलीय जैव- भू-रासायनिक अनुसंधान के क्षेत्र में उनके अहम वैश्विक योगदान हेतु उत्कृष्टता का पुरस्कार प्राप्त किया है.
गोवा विश्वविद्यालय की डॉ. सोहिनी गांगुली को पेट्रोलॉजी, ज्वालामुखी और भू-रसायन विज्ञान के क्षेत्र में उनके अहम कार्य हेतु युवा वैज्ञानिक पुरस्कार-2018 से सम्मानित किया गया. युवा वैज्ञानिक पुरस्कार ऐसे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को दिया जाता है, जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम और विद्युतचुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic waves) के क्षेत्र में अहम योगदान किया हो.
राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार क्या है?
राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार देश में भू-विज्ञान के क्षेत्र में सबसे अच्छा पुरस्कार माना जाता हैं. ये पुरस्कार पहले 'राष्ट्रीय खनिज पुरस्कार' के नाम से जाने जाते थे. इस पुरस्कार का शुभारंभ भारत सरकार के खान मंत्रालय ने साल 1966 में किया था. इन पुरस्कारों का नाम बदल कर साल 2009 में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार रख दिया गया था.
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