चारा घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई 2017 को अपने फैसले में लालू यादव पर आपराधिक साजिश का केस चलाने की इजाजत दे दी. चारा घोटाला 950 करोड रुपये का था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद 20 अप्रैल 20174 को ही आदेश सुरक्षित रख लिया था.
इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. यचिका में आरजेडी प्रमुख लालू यादव और अन्य से आपराधिक साजिश और अन्य धाराएं हटाये जाने का सीबीआई द्वारा विरोध किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट यह भी निर्धारित करेगा कि चारा घोटाले से जुडे अलग अलग मामले चलते रहेंगे या नही.
पृष्ठ भूमि-
झारखंड हाईकोर्ट ने नवंबर 2014 में लालू को राहत देते हुए उन पर लगे घोटाले की साजिश रचने और आईपीसी की धरा 420ठगी, 409 क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट और प्रिवेंशन आफ करप्शन के आरोप हटा दिए थे.
हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती है. हाईकोर्ट ने फैसले में यह भी कहा गया कि लालू यादव के खिलाफ आईपीसी की दो अन्य धाराओं के तहत मुकदमा जारी रहेगा.
इस फैसले के आठ महीने बाद सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद यादव के अधिवक्ता राम जेठमलानी ने तर्क दिया कि सभी मामलों में आरोप एक जैसे है इसलिए मामले को लेकर दर्ज किये गए अलग अलग केसों को सुनने की आवश्यकता नहीं है.
सीबीआई की दलील -
सीबीआई की तरफ से एसजी रंजीत कुमार ने दलील दी कि लालू प्रसाद के खिलाफ 6 अलग अलग मामले दर्ज हैं जिनमें से 1 मामले में वो दोषी करार दिए गए है. मामला हाई कोर्ट में लंबित है.
सीबीआई की तरफ से रंजीत कुमार ने यह भी कहा कि सभी मामलों में साल, रिश्वत की रकम और ट्रांजेक्शन भी अलग -अलग है इस लिए सभी मामलों को एक जैसा नहीं देखा जा सकता.
चारा घोटाला के बारे में-
चारा घोटाला 1990 से लेकर 1997 के बीच बिहार के पशुपालन विभाग में अलग-अलग जिलों में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के गबन से जुड़ा है. इस दौरान लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे.
करीब 950 करोड़ के चारा घोटाले के आरसी/20ए/96केस में लालू प्रसाद यादव के अलावा बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र, जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 45 अन्य आरोपी हैं.
इन सभी पर चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का आरोप है.
सीबीआई ने हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें लालू प्रसाद यादव के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में केवल दो धाराओं के तहत सुनवाई को मंजूरी प्रदान की गई. अन्य आरोपों को यह कह कर खारिज कर दिया कि एक अपराध के लिए किसी व्यक्ति का दो बार ट्रायल नहीं हो सकता.
झारखंड हाईकोर्ट के आदेश-
झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार भारतीय दंड संहिता की धारा-201 (अपराध के साक्ष्य मिटाना और गलत सूचना देना) और धारा-511 (ऐसा अपराध करने की कोशिश करना, जिसमें आजीवन कारावास या कारावास की सजा सकती है) के तहत लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मामले की सुनवाई चलती रहेगी.
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