केंद्र सरकार ने 13 अक्टूबर, 2017 को सम्पूर्ण बीमा ग्राम योजना (एसबीजी) का शुभारम्भ किया. साथ ही डाक जीवन बीमा योजना का विस्तार भी किया. सम्पूर्ण बीमा ग्राम योजना में देश के प्रत्येक जिले में कम से कम सौ परिवारों वाले एक गांव का चयन किया जाएगा.
संचार मंत्री मनोज सिन्हा के अनुसार देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को किफायती जीवन बीमा सेवाएं प्रदान करने के लिए डाक नेटवर्क के जरिए बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के विचार को आगे बढ़ाने की जरूरत है. सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत आने वाले सभी गांव इसकी सीमा में लाए जाएंगे.
डाक जीवन बीमा (पीएलआई) के ग्राहकों की संख्या बढ़ाने की योजना के अंतर्गत सरकार ने निर्णय लिया है कि पीएलआई के लाभ केवल सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं होंगे बल्कि यह डॉक्टरों, इंजीनियरों, प्रबंधन सलाहकारों, चार्टटेड एकाउंटेंट, वास्तुकारों, वकीलों, बैंक कर्मियों जैसे पेशेवरों और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) तथा बीएसई (बम्बई स्टॉक एक्सचेंज) के कर्मचारियों के लिए भी उपलब्ध होंगे.
इस योजना से प्रत्येक ग्रामीण को बीमा का लाभ मिलेगा. जिनमे गांव के किसानों को और खेतीहर मजदूरों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा. निजी बीमा की तुलना में डाक पॉलिसियों का बीमा शुल्क कम और लाभांश अधिक है.
उद्देश्य-
सम्पूर्ण बीमा ग्राम योजना (एसबीजी) में चयनित गांव के हर परिवार के एक व्यक्ति को ग्रामीण डाक बीमा योजना के अंतर्गत लाया जाएगा. सम्पूर्ण बीमा ग्राम योजना के तहत सभी चिन्हित परिवारों को बीमा सुविधा देना इस योजना का लक्ष्य है.
यह फैसला सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ाने और अधिकतम संख्या में लोगों को डाक जीवन बीमा (पीएलआई) के तहत लाने के लिए किया गया है.
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डाक जीवन बीमा-
वर्ष 1884 में शुरू किया गया डाक जीवन बीमा (पीएलआई) सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारियों के लाभ के लिए सबसे पुरानी बीमा योजनाओं में से एक है. डाक जीवन बीमा (पीएलआई) व ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) से लोगों का जीवन सुरक्षित होने के साथ ही वित्तीय समेकन भी बढ़ेगा.
मल्होत्रा समिति की सिफारिशों पर 24 मार्च, 1995 को शुरू किए गए ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों विशेष रूप से इन क्षेत्रों में रहने वाले वंचित वर्गो और महिलाओं को बीमा कवर प्रदान किया जाता है.
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कम बीमा शुल्क और उच्च लाभांश पीएलआई और आरपीएलआई योजनाओं का महत्वपूर्ण पहलू है. 31 मार्च, 2017 तक देश भर में 46.8 लाख पीएलआई और 146.8 लाख आरपीएलआई पॉलिसी धारक थे.
टिप्पणी-
वर्ष 2000 में बीमा क्षेत्र के उदारीकरण के बाद देश के बीमा उद्योग में काफी बदलाव आया, और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) का गठन किया गया.
ऐसे प्रतिस्पर्धी माहौल में डाक जीवन बीमा (पीएलआई)/ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) को स्वयं को दोबारा परिभाषित करना अत्यंत जरूरी है
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