केंद्र सरकार ने गिद्धों के संरक्षण के लिए एक पंचवर्षीय कार्य योजना शुरू की है. वे प्रकृति के ऐसे शव-भक्षी हैं जो जानवरों के शवों को खाकर आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं. भारत में गिद्धों की आबादी में भारी गिरावट के कारण यह कदम उठाया गया है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, प्रकाश जावड़ेकर ने गिद्धों के संरक्षण के लिए पर्यावरण मंत्रालय की पंचवर्षीय योजना (2020-2025) का उल्लेख करते हुए यह बताया कि, सिर्फ 0.4-0.7% पशु शव, जो डिक्लोफेनाक से दूषित हैं, गिद्धों की आबादी को कम करने के लिए पर्याप्त हैं.
हमारे पर्यावरण के लिए गिद्धों का महत्व
चूंकि गिद्ध विशेष सफ़ाई-कर्ता होते हैं, इसलिए ये ऐसे पशु शवों को जल्दी से निपटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो लाखों कवक और रोगजनक बैक्टीरिया को पाल सकते हैं. ये लाखों कवक और रोगजनक बैक्टीरिया पशु और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं.
गिद्ध संरक्षण योजना 2020-2025 (APVC) के लिए निर्मित कार्य योजना के प्रमुख उद्देश्य
- गिद्धों के प्रमुख भोजन, मवेशी शव में जहर को रोकने के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पशु चिकित्सा एनएसएआईडी को नियंत्रित और केवल चिकित्सक की पर्ची को देखकर वितरित किया गया है.
- गिद्धों के लिए उपलब्ध पशु चिकित्सा एनएसएआईडी के अणुओं का सुरक्षा परीक्षण करना. गिद्धों पर सुरक्षा परीक्षण के बाद ही इन नए अणुओं (मोलिक्यूल्स) को बाजार में उपलब्ध करवाने की अनुमति दी जाएगी.
- डीसीजीआई को एक ऐसी प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो पशु चिकित्सा के उपयोग से किसी दवा को खुद ही हटा दे, अगर किसी भी स्थिति में संबद्ध दवा गिद्धों के लिए विषाक्त हो.
गिद्ध संरक्षण कार्य योजना: मुख्य विशेषताएं
- लगभग 207 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट के साथ इस अनुमानित योजना (2020-2025) में - त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में गिद्धों के पांच अतिरिक्त संरक्षित प्रजनन केंद्रों की स्थापना भी शामिल होगी.
- इस योजना में मध्य भारत में भोपाल, उत्तर भारत में हरियाणा, दक्षिण भारत में हैदराबाद और पूर्वोत्तर भारत में गुवाहाटी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में 4 बचाव केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव भी शामिल है.
- केंद्र सरकार मिस्र के गिद्धों और रेड-हेडेड वल्चर के लिए संरक्षित प्रजनन कार्यक्रम पर भी काम करेगी.
- यह योजना गिद्धों की आबादी के संरक्षण के लिए विभिन्न राज्यों को कम से कम एक ‘गिद्ध सुरक्षित क्षेत्र’ स्थापित करने में भी मदद करेगी.
भारत में गिद्ध: संक्षिप्त विवरण
वर्ष 1980 के दशक तक, गिद्ध भारत में बहुत आम थे और इनकी आबादी 40 मिलियन थी. हालांकि, 1990 के दशक के मध्य में, इनकी आबादी में 90% तक गिरावट आ गई और वर्ष 2007 तक, गिद्ध की तीन जिप्स प्रजातियों में से 99% का सफाया हो गया था.
गिद्धों की आबादी में आई इस अचानक गिरावट ने केंद्र सरकार को गिद्धों के संरक्षण के लिए एक समर्पित योजना तैयार करने के लिए प्रेरित किया.
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