Criminal Procedure (Identification) Bill 2022: क्या है आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक?

Mar 28, 2022, 16:27 IST

Criminal Procedure (Identification) Bill 2022: इसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने हेतु अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है.

Explained: What is the Criminal Procedure (Identification) Bill 2022
Explained: What is the Criminal Procedure (Identification) Bill 2022

Criminal Procedure (Identification) Bill 2022: केंद्र सरकार ने 28 मार्च 2022 को लोकसभा में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पेश किया. पुलिस से जुड़े इस कानून को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने हेतु अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी ने सदन में इस विधेयक को पेश किया. 14 मार्च से शुरू हुआ यह सत्र का दूसरा चरण 8 अप्रैल 2022 को खत्म होगा. यह बिल पुलिस से जुड़ा हुआ है. इस सत्र में अबतक बहुत सारे महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा हुई है. पुलिस से जुड़े इस विधेयक को भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक क्या है?

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक अपराधियों की यूनीक पहचान से जुड़ा विधेयक है. इसका मुख्य उद्देश्य अपराधियों की बायोग्राफिक डिटेल्स को सु​रक्षित रखना है. यह बिल अपराधियों और ऐसे अन्य व्यक्तियों की पहचान के लिए पुलिस को उनके अंगों और निशानों की माप लेने का अधिकार देता है. इसके अंतर्गत अपराधियों की अंगुलियों के निशान, पैरों और हथेली के निशान, फोटोग्राफ, जैविक नमूने, आंख की पुतली, रेटिना स्कैन, दस्तखत और लिखावट से जुड़े सभी सबूतों को संरक्षित रखा जाएगा.

इसके अतिरिक्त इस नए विधेयक के अंतर्गत किसी भी निवारक निरोध कानून के तहत दोषी ठहराए गए, गिरफ्तार किए गए या पकड़े गए किसी भी व्यक्ति को पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी को "माप" देने की जरूरत होगी. इस विधेयक में मौजूदा 'कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920' को निरस्त किया गया है. पहले के कानून में केवल फिंगर एवं फुटप्रिंट लेने की ही इजाजत थी. इसके अतिरिक्त मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद फोटोग्राफ लिए जा सकते थे.

पृष्ठभूमि

केंद्र सरकार का मानना है कि अधिक से अधिक ब्यौरा मिलने से दोष सिद्धि दर में बढ़ोतरी होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी. इसके तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सूची में संशोधन करना शामिल है. इसे बजट सत्र के पहले ही चरण में पेश किया जाना था लेकिन राज्यों में चुनाव को देखते हुए स्थगित कर दिया गया था.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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