चंद्रयान-2 नासा के लेजर उपकरणों को चंद्रमा तक लेकर जाएगा

Mar 26, 2019, 15:26 IST

चंद्रयान-2 से पहले इजरायल के बेरशीट लैंडर के साथ भी नासा का लेजर रेट्रोरिफलेक्टर भेजा गया है. बेरशीट 11 अप्रैल को चांद पर उतर सकता है.

Chandrayaan-2 to carry NASA’s laser instruments to Moon
Chandrayaan-2 to carry NASA’s laser instruments to Moon

चंद्रयान-दो (Chandrayaan-2) नासा के लेजर उपकरणों को अपने साथ चंद्रमा तक लेकर जाएगा. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक इससे वैज्ञानिकों को चंद्रमा तक की दूरी का सटीक माप लेने में मदद मिलेगी.

चंद्रयान-2 से पहले इजरायल के बेरशीट लैंडर के साथ भी नासा का लेजर रेट्रोरिफलेक्टर भेजा गया है. बेरशीट 11 अप्रैल को चांद पर उतर सकता है.

चंद्रयान-2 के बारे में:

•   चंद्रयान-2 भारत का चंद्रयान-1 के बाद दूसरा चंद्र अन्वेषण अभियान है जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने विकसित किया है.

•   अभियान को जीएसएलवी मार्क 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपण करने की योजना है.

•   इस अभियान में भारत में निर्मित एक लूनर ऑर्बिटर (चन्द्र यान) तथा एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल होंगे.

•   इस अभियान को श्रीहरिकोटा द्वीप के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान द्वारा भेजे जाने की योजना है. उड़ान के समय इसका वजन लगभग 3,250 किलो होगा.

•   इसरो के अनुसार यह अभियान विभिन्न नयी प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल तथा परीक्षण के साथ-साथ नए प्रयोग भी करेगा.

•   चंद्रयान-2 मिशन में भारत निर्मित एक रोवर व लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे.

•   यह रोवर चंद्रमा की सतह से मिट्टी व चट्टान के नमूनों को विश्लेषण के लिए एकत्र कर चंद्रयान-2 ऑर्बिटर की मदद से धरती पर भेजा जाएगा.

लेजर रेट्रोरिफलेक्टर:

रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐसे परिष्कृत शीशे होते हैं जो धरती से भेजे गए लेजर रोशनी संकेतों को प्रतिबिंबित करते हैं. ये सिग्नल यान की मौजूदगी का सटीक तरीके से पता लगाने में मदद कर सकते हैं जिसका प्रयोग वैज्ञानिक धरती से चंद्रमा की दूरी का सटीक आकलन करने के लिए कर सकते हैं.

चंद्रयान-1

भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को अपना पहला चंद्र अभियान लांच किया था. चंद्रयान-1 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के अंतर्गत द्वारा चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान था.

यह यान ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान के एक संशोधित संस्करण वाले राकेट की सहायता से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया था. इसे चन्द्रमा तक पहुँचने में 5 दिन लगे पर चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग गया.

चंद्रयान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के विस्तृत नक्शे और पानी के अंश और हिलियम की तलाश करना था. चंद्रयान-प्रथम ने चंद्रमा से 100 किमी ऊपर 525 किग्रा का एक उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया. यह उपग्रह अपने रिमोट सेंसिंग (दूर संवेदी) उपकरणों के जरिये चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र भेजे. चंद्रयान के साथ भारत चाँद को यान भेजने वाला छठा देश बन गया था.

भारत चंद्रयान-2 मिशन के सफल होने पर रूस, अमेरिका, चीन और इजरायल के बाद चांद पर अपना यान उतारने वाला पांचवां देश बन जाएगा.

 

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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