भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन (K Shivan) ने 12 अगस्त 2019 को कहा कि चंद्रयान-2 के 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की संभावना है. चंद्रयान-2 उसके बाद 31 अगस्त तक चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा.
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 सात सितंबर 2019 को चंद्रमा की सतह पर उतर जाएगा. अभी तक चंद्रमा के इस हिस्से में कोई उपग्रह नहीं उतरा है. इसरो के चीफ के. सिवन ने बताया कि 14 अगस्त 2019 को सुबह लगभग 3.30 बजे 'चंद्रयान-2' पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद की ओर बढ़ेगा.
चंद्रयान-2 चंद्रयान-2 के लैंडर एयरक्राफ्ट का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर ही विक्रम रखा गया है. चंद्रयान-2 का वजन लगभग 3.8 टन है. इसके तीन हिस्से हैं-ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में डॉ. सतीश धवन अंतरिक्ष प्लेटफॉर्म से प्रक्षेपित किया गया था. यह प्रक्षेपण इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 की सहायता से किया गया था. |
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 अभी तक तय कार्यक्रम के अनुसार काम कर रहा है. उसके सभी उपकरण सही तरीके से काम कर रहे हैं.
भारत ऐसा करने वाला चौथा देश:
इसरो के योजना के मुताबिक, लैंडर और रोवर की लैंडिंग चांद की सतह पर 07 सितंबर 2019 को होगी. लैंडर-रोवर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के उस हिस्से पर उतारा जाएगा, जहां अभी तक कोई यान नहीं उतरा है. भारत चांद की सतह पर लैंडिंग के बाद ऐसा करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा. भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने यान चांद पर उतार चुके हैं.
चंद्रयान-2 क्या-क्या पता लगाएगा
चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्र मिशन था. चंद्रयान-1 से चांद पर पानी होने का पता चला था. चंद्रयान-2 अब यह पता लगाएगा कि कहां-कहां तथा किस स्वरूप में पानी है. इसके अतिरिक्त चंद्रयान-2 वहां के मौसम और रेडिएशन का पता लगाएगा. चंद्रयान-2 यह भी पता लगाएगा कि वहां किस हिस्से में तथा कब-कब रोशनी होती है और कब-कब अंधेरा छाया (dark shadow) रहता है.
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