भारत के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट में सीधी सुनवाई फिर से शुरू करने की तारीख तय करने के मामले से खुद को अलग कर लिया है. CJI ने 7 जजों के सुप्रीम कोर्ट के पैनल को सीधी सुनवाई फिर से शुरू करने की तारीख तय करने का फैसला करने के लिए गठित किया है.
सुप्रीम कोर्ट के इस 7 जजों वाले पैनल ने पिछले हफ्ते कोविड -19 के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपायों के साथ एससी की 15 बेंचों में से कम से कम 2-3 में ट्रायल के आधार पर दो सप्ताह के लिए सीधी सुनवाई करने की सिफारिश की थी.
इस 7 जजों वाली एससी कमेटी में जस्टिस एनवी रमन, अरुण मिश्रा, रोहिंटन नरीमन, यूयू ललित, ए एम खानविलकर, डी वाई चंद्रचूड़ और एलएन राव शामिल हैं.
मुख्य विशेषताएं
• इन 7 जजों के पैनल ने चिकित्सा विशेषज्ञों और बार लीडर्स के साथ विस्तृत चर्चा की. जबकि चिकित्सा विशेषज्ञों ने 1 सितंबर से पहले शारीरिक सुनवाई को फिर से शुरू करने के खिलाफ सलाह दी है, बार लीडर्स सीधी सुनवाई तत्काल शुरु करने के लिए दबाव डाल रहे हैं.
• सभी सिफारिशों पर विचार करने के बाद, जजों के इस पैनल ने कथित तौर पर सुझाव दिया था कि कम से कम तीन अदालतें ट्रायल के आधार पर सीधी सुनवाई शुरू कर सकती हैं.
• इस कमेटी ने मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं ताकि वे परीक्षण/ ट्रायल के आधार पर सीधी सुनवाई को फिर से शुरू करने की तारीख तय कर सकें.
• हालांकि अब, CJI ने इस कमेटी से यह कहा है कि सीधी सुनवाई को फिर से शुरू करने के बारे में अंतिम निर्णय इस कमेटी द्वारा ही लिया जाए.
• यदि कमेटी CJI के अनुरोध पर सहमत हो जाती है, तो उसे अंतिम तिथि तय करने के लिए फिर से चिकित्सा विशेषज्ञों और बार लीडर्स के साथ परामर्श करना होगा.
• यह सीधी सुनवाई केवल चुनिंदा अदालतों में ट्रायल के आधार पर आयोजित की जाएगी. इस दौरान, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आभासी सुनवाई जारी रहेगी.
• एक रिपोर्ट के अनुसार, 200 से अधिक अधिवक्ता कोविड - 19 महामारी में कमी होने तक सीधी सुनवाई को स्थगित करने का अनुरोध करने के लिए एक साथ आगे आए थे.
पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट के इस 7 जजों वाले पैनल ने पिछले हफ्ते अतिरिक्त सुरक्षा उपायों के साथ अपनी 15 बेंचों में से कम से कम 2-3 में दो सप्ताह के लिए सीधी सुनवाई फिर से शुरू करने की सिफारिश की थी.
इस पैनल ने केवल लंबे मामलों की सुनवाई की आवश्यकता वाले पुराने मामलों के लिए सीधी सुनवाई को फिर से शुरू करने की सिफारिश की थी जिसमें केवल बहस करने वाले वकील को प्रवेश की अनुमति होगी.
इस कमेटी की सिफारिश उच्च न्यायालयों के लिए एक संकेत के तौर पर देखे जाने की उम्मीद जताई गई थी ताकि उच्च न्यायालयों और ट्रायल कोर्ट में सीधी सुनवाई को फिर से शुरू करने की तारीख तय की जा सके.
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