राजस्थान के कांगो फीवर के दो संदिग्ध मामले सामने आने के बाद राजस्थान में अलर्ट जारी किया गया है. कांगो बुखार के रूप में पहचाने जाने वाले घातक क्रीमियन-कांगो हेमोरेजिकफीवर (सीसीएचएफ) के मरीजों को अहमदाबाद के एक अस्पताल में रेफर किया गया है.
कांगो बुखार सीसीएचएफ वायरस के कारण होता है और इसके अधिकांश लक्षण डेंगू बुखार जैसे होते हैं, जिससे असली बीमारी को पहचान कर इलाज करना मुश्किल हो जाता है. कांगो बुखार के मामले में नमूने हैदराबाद में एक लैब में भेजे गए हैं और रिपोर्ट आने तक पूरी तरह से असमंजस बना रहेगा.
क्या है कांगो फीवर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह संक्रमण अफ्रीका, यूरोप और एशिया के कई देशों में पाया जाता है. वर्ष 2001 के दौरान कोसोवो, अल्बानिया, ईरान, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में इसके काफी मामले पाए गए थे. वर्ष 1969 में इस संक्रमण से कांगों में काफी क्षति हुई थी इसलिए इसे क्रिमियन कांगो वायरस के नाम से भी जाना जाता है.
मनुष्यों तक संक्रमण कैसे फैलता है?
यह देखा गया है कि आमतौर पर घरेलू अथवा आवारा जानवर इसका शिकार हो सकते हैं, लेकिन उनके संपर्क में आने से यह संक्रमण मनुष्यों में भी फैल जाता है. इस बीमारी की चपेट में आने वाले व्यक्तियों की मौत की आशंका बहुत ज्यादा होती है और एक बार संक्रमित हो जाने पर इसे पूरी तरह से शरीर में फैलने में तीन से नौ दिन लग सकते हैं. यह बीमारी जानवरों के टिक्स अथवा पिस्सू से फैलती है. उनके काटने से व्यक्ति को बुखार हो सकता है और वह घातक रूप ले सकता है.
कांगो फीवर के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इससे संक्रमित होने पर बुखार के एहसास के साथ शरीर की माँशपेशियों में दर्द, चक्कर आना और सर में दर्द, आँखों में जलन और रोशनी से डर जैसे लक्षण पाए जाते हैं. कुछ लोगों को पीठ में दर्द और मितली होती है और गला बैठ जाता है. इस संक्रमण के अधिक बढ़ने पर शरीर से खून का रिसाव भी हो सकता है तथा मानव शरीर के विभिन्न अंगों का एक साथ फेल होने की वजह से मौत भी हो सकती है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation