रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 20 मार्च, 2020 को नई दिल्ली में रक्षा खरीद प्रक्रिया नीति 2020 का मसौदा जारी किया. इस नीति का उद्देश्य मेक इन इंडिया पहल के तहत विनिर्माण गतिविधियों में निजी क्षेत्र को शामिल करके भारत को रक्षा विनिर्माण का एक प्रमुख वैश्विक केंद्र बनाना है. सरकार ने लीज़ प्रक्रिया के तहत सस्ती दरों पर विभिन्न श्रेणियों में रक्षा उपकरणों की खरीद का प्रावधान भी पेश किया है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि नई नीति के तहत, रक्षा उत्पादन में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ाकर इस क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है. मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार, घरेलू, कच्चे माल, विशेष प्रकार के खनिजों और सॉफ्टवेयर को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है.
रक्षा खरीद प्रक्रिया क्या है?
रक्षा उपकरण खरीदना एक राष्ट्रीय नीति है. रक्षा खरीद नीति के तहत, पनडुब्बियों को लड़ाकू विमान से जुड़े प्रोजेक्ट स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के माध्यम से लॉन्च किया जा सकता है. इसी के तहत हथियार कारखाने की परियोजना रणनीतिक साझेदारी के तहत शुरू होंगे. नई नीति की शुरुआत के साथ, संवेदनशील हथियार या मशीन खरीदने की प्रक्रिया को गति दी जाएगी और आवश्यक हथियारों या मशीनों की खरीद में तेजी लाई जाएगी.
रक्षा खरीद नीति के तहत, IDDM यानी स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित रक्षा क्षेत्र की खरीद में पहली प्राथमिकता दी जाएगी. साथ ही, रक्षा खरीद प्रक्रिया से जुड़े मैनुअल को हर दो महीने में अपडेट किया जाएगा.
उद्देश्य
यह समिति अगस्त 2019 में बनाई गई थी. इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा इरादा भारत को रक्षा उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है. उन्होंने कहा कि हम भारत को रक्षा उपकरणों के उत्पादन का गढ़ बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग और रक्षा मंत्रालय द्वारा एक साथ काम करने के अनुभव के साथ, हमारे लिए मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करने का समय आ गया है. रक्षा खरीद प्रक्रिया के मसौदे में भारतीय सेना द्वारा अधिग्रहित हथियारों का अधिक हिस्सा स्वदेशी होना चाहिए.
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