जम्मू और कश्मीर (UT) के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए 5.9 मिलियन टन के लिथियम अनुमानित भंडार (G3) का पता लगाया है.
भारत फ़िलहाल लिथियम, कोबॉट और निकल जैसे कई खनिजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है लेकिन इस खोज से भारत की निर्भरता अन्य देशों पर कम होगी. दरअसल, लिथियम ईवी बैटरी में एक मुख्य घटक के रूप में उपयोग होता है.
भारत के खान मंत्रालय ने देश के लिए बहुत बड़ी खबर दी है. सरकार ने बताया कि देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में लिथियम के भंडार का पता लगा है.
Geological Survey of India has for the first time established 5.9 million tonnes inferred resources (G3) of lithium in Salal-Haimana area of Reasi District of Jammu & Kashmir (UT).@GeologyIndia
— Ministry Of Mines (@MinesMinIndia) February 9, 2023
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GSI रिपोर्ट, हाइलाइट्स:
हाल ही में 62वीं केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड (CGPB) की बैठक के दौरान 15 अन्य संसाधन वाली भूवैज्ञानिक रिपोर्ट (G2 और G3 स्टेज) और 35 भूवैज्ञानिक ज्ञापनों के साथ यह रिपोर्ट संबंधित राज्य सरकारों को सौंपी गई थी. जिसमें इस बात का खुलासा हुआ.
मिनरल्स ब्लॉक्स: GIS रिपोट के अनुसार, इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक गोल्ड से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि जैसी कमोडिटीज़ से संबंधित हैं.
11 राज्यों में मिले भंडार: GIS रिपोट के अनुसार, सत्र 2018-19 से अब तक के सर्वेंक्षण से पता चला है कि ये खनिज 11 राज्यों, जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना में पाए गए है.
कोल ब्लॉक्स: इनके अलावा, 7897 मिलियन टन के कुल संसाधन वाले कोयला और लिग्नाइट की 17 रिपोर्टें भी कोयला मंत्रालय को सौंपी गईं.
दूसरे देशों पर निर्भरता होगी कम:
लिथियम का उपयोग ईवी बैटरी के निर्माण में मुख्य रूप से किया जाता है. इस नई टेक्नोलॉजी के दौर में, सरकार महत्वपूर्ण खनिज सप्लाई चेन को मजबूत करने का प्रयास लगातार कर रही है. वर्तमान में भारत लिथियम (Lithium), कोबाल्ट (Cobalt) और निकल (Nickel) जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भर है. लेकिन इस खोज के कारण भारत अब अपनी स्थित में सुधार कर सकता है.
क्या है लिथियम की उपयोगिता?
केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड की 62वीं बैठक में खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने बताया कि मोबाइल फोन हो या सोलर पैनल हर जगह लिथियम सहित महत्वपूर्ण खनिजों की आवश्कता होती है इसलिए इसका पता लगाना और उन्हें संसाधित करना बेहद जरुरी है.
लिथियम एक अलौह (Non-ferrous) धातु है जिसे "व्हाइट गोल्ड" के रूप में भी जाना जाता है, जो निकल और कोबाल्ट के साथ-साथ ईवी बैटरी में प्रमुख घटकों में से एक है. लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग वैश्विक लिथियम आपूर्ति को प्रभावित कर रही है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, एक इलेक्ट्रिक कार के लिए लिथियम-आयन बैटरी पैक में लगभग 8 किलोग्राम लिथियम होता है.
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया:
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) की स्थापना 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिए कोयले के भंडार का पता लगाने के लिए की गई थी. GSI को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी प्राप्त किया है.
GSI खान मंत्रालय से संबद्ध कार्यालय है इसका मुख्यालय कोलकाता में है. साथ ही लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग और कोलकाता में इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय हैं.
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