भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चमन लाल गुप्ता का लंबी बीमारी के बाद 18 मई 2021 को जम्मू के गांधी नगर स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. कुछ दिन पहले बीजेपी नेता चमन लाल गुप्ता कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे और सफल इलाज के बाद घर लौट आए थे. वे 87 साल के थे. उनके परिवार में उनके दो बेटे और एक बेटी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि चमन लाल गुप्ता हमेशा समाज के लिए किए गए अपने काम के लिए याद किए जाएंगे. वे एक समर्पित विधायक थे और उन्होंने बीजेपी को पूरे जम्मू-कश्मीर में मजबूत किया. मुझे उनके निधन से दुख पहुंचा है. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार एवं समर्थकों के साथ हैं.
Shri Chaman Lal Gupta Ji will be remembered for numerous community service efforts. He was a dedicated legislator and strengthened the BJP across Jammu and Kashmir. Pained by his demise. My thoughts are with his family and supporters in this hour of grief. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 18, 2021
उपराज्यपाल ने श्रद्धांजलि दी
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी और कहा कि लोगों के कल्याण को लेकर उनके अपार योगदान हेतु उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. उपराज्पाल ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर चमन लाल गुप्ता जी के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ. एक अनुभवी राजनेता का राजनीतिक क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है.
चमन लाल गुप्ता के बारे में
• चमन लाल गुप्ता का जन्म 13 अप्रैल 1934 को जम्मू में हुआ था. पिछले कुछ वर्षों से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था और वह कई रोगों से ग्रस्त थे.
• उन्होंने जीएम साइंस कॉलेज जम्मू और इलाहाबाद विश्वविद्यालय (यूपी) से एमएससी पूरा किया था.
• उन्होंने छात्र राजनीति से राजनीतिक करियर की शुरुआत की. वे जम्मू-कश्मीर भाजपा के प्रधान भी रहे. उन्होंने हिंदी में तीन किताबें भी लिखीं.
• वे पहली बार साल 1972 में जम्मू कश्मीर विधानसभा के सदस्य बने. वे 2008 से 2014 तक भी विधानसभा के सदस्य चुने गए. वे दो बार जम्मू कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे.
• चमन लाल गुप्ता साल 1996 में जम्मू के उधमपुर लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए और 1998 तथा 1999 में भी उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल की.
• वे 13 अक्टूबर 1999 से 01 सितंबर 2001 तक नागर विमानन मंत्रालय में राज्य मंत्री थे. वे 01 सितंबर 2001 से 30 जून 2002 के बीच खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 01 जुलाई 2002 से 2004 तक रक्षा राज्य मंत्री रहे.
आतंकवाद विरोधी मुहिम को तेजी दी
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में रक्षा राज्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने आतंकवाद विरोधी मुहिम को तेजी दी. उन्होंने डोडा में आतंकियों के कहर को समाप्त करने के लिए विलेज डिफेंस कमेटियों का गठन किया. उन्होंने ग्रामीणों को हथियार दिलाकर उन्हें आतंकवाद के खिलाफ खड़ा कर दिया.
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